खजूरी उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सीएचओ ने दर्ज कराई शिकायत

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सीहोर / सिविल अस्पताल में पदस्थ ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर एवं प्रभारी लेखपाल (निशा अचले) को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक ने शुक्रवार रात करीब 10 बजे 6000 रुपए की रिश्वल लेते रंगे हाथों निशा। पकड़ा है। भैरूंदा के खजूरी उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सीएचओ ने युक्त में 15 मई को भोपाल लोकायुक्त शिकायत दर्ज कराई थी कि इसमें बताया गया कि उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए प्रतिवर्ष वार्षिक आवंटन राशि 50 हजार व 5000 रुपए वैलनेस
एक्टिविटी के लिए मिलता है। ब्लॉक में 27 उप स्वास्थ्य केंद्र है, जिसमें बिल वाउचर जमा करने के बदले में निशा प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र से 2000 रिश्वत राशि की मांग की जा रही है। शिकायत सही पाए जाने पर 16 मई को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक भोपाल के मार्गदर्शन में बीपीएम और प्रभारी लेखापाल निशा अचले को उसी के घर के बाहर 6000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ ट्रेप किया है। कार्रवाई रात करीब डेढ़ बजे तक चली, भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ। इसके बाद शनिवार को निशा सुबह निशा ने न केवल ऑफिस खोला, बल्कि कुछ ट्रांजेक्शन भी किए।
भैरूंदा सिविल अस्पताल में पदस्थ है निशा
भैरूंदा के खजूरी उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सीएचओ नर्मदी अश्वारे ने पुलिस अधीक्षक विपुस्था भोपाल दुर्गेश राठौर को शिकायत की थी। शिकायत सत्यापन के बाद लोकायुक्त विभाग हरकत में आया और निशा अचले को रंगे हाथों पकड़ने के लिए टीम बनाकर कार्रवाई शुरू की गई। 16 मई को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक भोपाल के मार्गदर्शन में उप पुलिस अधीक्षक दिलीप झारबडे, निरीक्षक उमा कुशवाह, प्रधान आरक्षक रामदास कुर्मी, प्रधान आरक्षक नेहा परदेसी, प्रधान आरक्षक यशवंत, आरक्षक चैतन्य प्रताप सिंह, आरक्षक चालक अमित विश्वकर्मा और हिम्मत सिंह के साथ ट्रेप टीम का गठन किया गया।
लोकायुक्त की टीम कार्रवाई करती हुई
सीबीएमओ बोले- हम उन्हें आने से रोक नहीं सकतेः इस मामले में सीबीएमओ मनीष सारस्वत ने बताया कि कार्रवाई से संबंधित कोई भी दस्तावेज लोकायुक्त की टीम हमें देकर नहीं गई, इसलिए हम उन्हें रोक नहीं सकते।
पूर्व में भी हो चुकी हैं कई शिकायतेंः संविदा कर्मचारियों सहित विभागीय सभी वित्तीय कार्य निशा द्वारा देखा जाता हैं। कर्मचारियों का वेतन से लेकर सभी मदों का भुगतान इनके द्वारा ही संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाता है। यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी आशा कार्यकर्ताओं के वेतन डालने के मामले में भी रिश्वत लिए जाने की शिकायत कार्यकर्ताओं द्वारा की जा चुकी है, लेकिन विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई ना होने से लोकायुक्त का रास्ता अपनाया गया।

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