डीआर न्यूज इंडिया डाॅट काॅम/राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में 25 जुलाई 2025 को एक बेहद दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने सरकारी सिस्टम की लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। सुबह करीब 7:30 बजे राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे रोज की तरह प्रार्थना के लिए पहुंचे। बारिश के कारण शिक्षकों ने सभी बच्चों को कमरे में भेज दिया। कुछ ही देर में छत से चूना और कंकड़ गिरने लगे। बच्चों ने शिक्षकों को चेताया, लेकिन उन्होंने कहा—”कुछ नहीं होगा, बैठो प्रार्थना करो।”
चेतावनी अनसुनी कर दी गई और कुछ ही मिनटों में पूरी छत भरभराकर गिर गई। कमरे का छोटा सा दरवाजा और भारी पट्टियां बच्चों के लिए मौत बन गईं। हादसे में 7 मासूम बच्चों की मौत हो गई और 28 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल बच्चों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

बच्चों के शव को झालावाड़ अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया
जांच में सामने आया कि स्कूल की इमारत पिछले 4 सालों से जर्जर थी। छत में दरारें, दीवारों में सीलन और बारिश के मौसम में पानी टपकना आम बात थी। स्थानीय लोगों और पेरेंट्स ने कई बार इसकी शिकायत की थी, लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। हद तब हो गई जब शिक्षकों ने ही ग्रामीणों से कहा कि “हर घर से ₹200 इकट्ठे करो, हम मरम्मत करवा लेंगे।”
गांव वालों ने अपनी जेब से पैसे लगाकर मरम्मत करवाई भी, लेकिन सरकारी मदद नहीं मिली। हादसे के बाद सरकार ने 5 शिक्षकों को निलंबित कर जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मुआवजा घोषित करते हुए सभी स्कूलों की इमारतों की जांच कराने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हादसे पर शोक जताया।
यह हादसा केवल एक स्कूल की छत गिरने की घटना नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की नाकामी, लापरवाही और ग्रामीण शिक्षा की बदहाली का जीवंत उदाहरण है। मासूम जानों की कीमत पर उठे ये सवाल अब पूरे सिस्टम की जवाबदेही मांगते हैं। क्या ये हादसा प्रशासन को झकझोर पाएगा या यह भी अन्य हादसों की तरह भुला दिया जाएगा?
घटना की तारीख: 25 जुलाई 2025, सुबह 7:30 बजे
पूरा मामला – एक नाकाम सिस्टम की खौफनाक तस्वीर
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की छत अचानक उस समय गिर गई जब बच्चे प्रार्थना कर रहे थे। हादसे में 7 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 28 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।
बारिश हो रही थी, इसलिए शिक्षकों ने बच्चों को कमरे में प्रार्थना के लिए बुला लिया। कुछ ही देर में छत से चूना और कंकड़ गिरने लगे। बच्चों ने शिक्षकों को चेताया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। और फिर अचानक छत भरभराकर गिर गई। कमरे में अफरा-तफरी मच गई। पत्थरों और पट्टियों के नीचे दबकर बच्चे एक-एक कर गिरते गए।
स्कूल की हालत पहले से खराब थी
- छत चार साल से टपक रही थी।
- दीवारों पर सीलन और दरारें थीं।
- कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- शिक्षक ही गांववालों से कहने लगे थे – “हर घर से ₹200 लो, मरम्मत करवा लेते हैं।”
गांववालों ने खुद जुटाए पैसे
पेरेंट्स और स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने खुद से पैसे इकट्ठे कर मरम्मत कराने की कोशिश की। लेकिन यह सवाल जस का तस है:
जब स्कूल सरकारी है, शिक्षक सरकारी हैं, तो मरम्मत गांववाले क्यों कराएं?
चश्मदीद और पीड़ितों की आपबीती
बच्चे विक्रम के पिता बाबूलाल ने कहा:
“हमने बार-बार शिकायत की थी। शिक्षक खुद कहते थे कि पैसे जुटाओ, छत बनवाते हैं। हमने कहा – आपकी सैलरी आती है, सिस्टम कहां है? हम गरीबों के बच्चों के लिए क्या टूटी हुई छत ही नसीब है?”
दीवार पर लिखी लाइन और सरकारी ‘दया’ की असलियत
“खाने की कोई चीज है तो वह है दया”
स्कूल की दीवार पर लिखी इस लाइन को बच्चे रोज पढ़ते थे, लेकिन हकीकत ये है कि सरकारी तंत्र के पास “दया” नहीं, सिर्फ हादसों के बाद के घड़ियाली आंसू हैं।
हादसे के बाद क्या हुआ
अपडेट | विवरण |
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CM अशोक गहलोत | हादसे पर दुख जताया, जांच के आदेश दिए |
प्रारंभिक रिपोर्ट | छत की हालत बेहद खराब, नवीनीकरण की फाइल रुकी हुई थी |
SDM स्तर पर जांच शुरू | स्कूल प्रशासन और पंचायत से रिपोर्ट तलब |
शिक्षा विभाग के अधिकारी सस्पेंड | दो अफसरों को प्राथमिक तौर पर हटाया गया |
घायलों को 5 लाख का मुआवजा | मृतकों के परिवारों को 10 लाख का मुआवजा, घायलों को उपचार व सहायता |
कौन जिम्मेदार है इन मासूम मौतों का?
- पंचायत, शिक्षा विभाग, स्कूल प्रशासन – सभी की लापरवाही सामने है
- 4 साल से जर्जर छत को नजरअंदाज करना – सीधी प्रशासनिक हत्या की श्रेणी में आता है
- क्या कोई अधिकारी कानूनी सजा पाएगा, या ये भी एक हादसा बनकर फाइलों में दफ्न हो जाएगा?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विपक्षी नेताओं (जैसे राहुल गांधी, अशोक गहलोत) ने भी शोक और न्याय की माँग की है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को “दुखद और गहरा दर्द देने वाला” बताया और प्रभावित परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त की
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने दुख जताया और शिक्षा विभाग से सभी स्कूलों की जांच व संरूपण संबंधी मरम्मत की घोषणा की; राज्य में ₹200 करोड़ तक खर्च की योजना बनाई गई है
यह सिर्फ छत नहीं गिरी, यह सरकारी संवेदनहीनता और सिस्टम की मौत का प्रमाण है। इस हादसे ने 7 मासूमों की जान ली, लेकिन असल सवाल है – क्या अब भी किसी की आंखें खुलेंगी?