दीया घर में जलाओ, पर रोशनी दिल में बसाओ
drnewsindia.com/दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों की उजली पहचान है।
यह वह समय है जब हम सिर्फ अपने घरों को नहीं, बल्कि मन के अंधकार को भी मिटाकर उजाला फैलाते हैं।
दीपावली हमें सिखाती है — प्रकाश केवल दीयों में नहीं, इंसान के भीतर भी जलना चाहिए।
आज दीपावली की रौनक सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। यह अब वैश्विक उत्सव बन चुकी है।
लाखों लोग इस दिन दीप जलाते हैं — संदेश स्पष्ट है कि “प्रकाश की कोई सीमा नहीं होती।”
यह पर्व संस्कृति, अर्थव्यवस्था और मानवीय संबंधों को जोड़ने वाला एक आध्यात्मिक सेतु बन चुका है।

धनतेरस: स्वास्थ्य और समृद्धि का पहला दीप
दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।
इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है — यह संदेश देते हुए कि सच्चा धन स्वास्थ्य है।
साथ ही धन के देवता कुबेर की आराधना से जीवन में भौतिक समृद्धि की कामना की जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह ऋतु परिवर्तन का समय है। जब शरीर और मन स्वस्थ होते हैं, तभी जीवन में सच्चा उजाला स्थायी रहता है।
नरक चतुर्दशी: भीतर की नकारात्मकता की सफाई

छोटी दीपावली यानी नरक चतुर्दशी केवल घर की सफाई का दिन नहीं, बल्कि मन की सफाई का प्रतीक है।
यह दिन हमें सिखाता है कि जैसे दीवारों की धूल हटाते हैं, वैसे ही रिश्तों से ईर्ष्या, क्रोध और अहंकार की धूल भी मिटानी चाहिए।
इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है — क्योंकि आंतरिक और बाह्य दोनों रूपों की शुद्धि और सुंदरता का यही असली अर्थ है।
दीपावली: सत्य, धर्म और आशा की विजय का पर्व
मुख्य पर्व दीपावली, भगवान राम के अयोध्या लौटने की याद दिलाता है —
यह अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है।
लक्ष्मी पूजन समृद्धि का और गणेश पूजन बुद्धि और शुभता का प्रतीक है।
दीपावली हमें सिखाती है कि जीवन में संतुलन ही सच्ची सफलता की कुंजी है।
संदेश स्पष्ट है — “सिर्फ अपने घर को नहीं, दूसरों के जीवन को भी उजाला दो।”
गोवर्धन पूजा: प्रकृति के प्रति आभार
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश देती है।
यह स्मरण कराती है कि असली समृद्धि भूमि, पर्यावरण और संतुलित जीवन से आती है।
विकास तभी स्थायी है, जब वह प्रकृति के साथ सामंजस्य में हो।
भाई दूज: विश्वास और सुरक्षा का बंधन
दीपोत्सव का अंतिम पर्व भाई दूज भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है।
यह केवल तिलक और मिठाई का पर्व नहीं, बल्कि विश्वास और भावनात्मक सुरक्षा का प्रतीक है।
एक बहन की मंगलकामना और भाई का वचन समाज में रिश्तों की नींव को और मजबूत बनाते हैं।
आओ, मन के दीप जलाएं
दीपावली हमें प्रेरित करती है कि हम घर के दीपकों के साथ मन के दीप भी जलाएं।
जहां कोई दुखी हो, वहां मुस्कान का दीप जलाएं।
जहां कोई अकेला हो, वहां संग का दीप जलाएं।
जहां मतभेद हों, वहां प्रेम की लौ जगाएं।
जब एक दीप जलता है तो अंधकार मिटता है —
और जब हजारों मनों में दीप जलते हैं, तब पूरा समाज उजाला हो जाता है।
दीपावली हमें यही प्रेरणा देती है —
“प्रकाश पर्व बनाओ – अपने भीतर भी, और समाज में भी।” 🌟
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