डीआर न्यूज इंडिया डाॅट काॅम/भोपाल प्रदेश में 30 जून से तबादलों पर रोक लग गई है। लेकिन शिक्षा विभाग में अभी भी 70 विधायकों की अनुशंसा पर कार्रवाई नहीं हो पाई है। ऐसे में अब लोक शिक्षण संचालनालय करीब डेढ़ सौ शिक्षकों के तबादला आवेदन संबंधी फाइलें सीएम समन्वय भेजेगा। यह ऐसे आवेदन हैं, जिन पर विधायकों ने अनुशंसा की, लेकिन स्थानान्तरण आदेश जारी नहीं हो पाए। इस संबंध में संचालनालय कमिश्नर ने गतदिनों दोनों संचालकों को तलब किया। बताया जाता है कि विधायक लगातार दबाव बना रहे हैं कि उनकी अनुशंसा के अनुसार शिक्षकों के तबादले किए जाएं।
संचालनालय में अधिकारियों का कहना है कि तकरीबन 157 फाइलें ऐसी हैं, जिनके स्थानान्तरण आदेश जारी कराने विधायक दबाव बना रहे हैं। यह विधायक संचालनालय कमिश्नर से तो मुलाकात कर ही रहे हैं। शिक्षा मंत्री को भी इन्होंने पूरी समस्या बताई है। अफसरों की मानें तो ज्यादातर सत्ता पक्ष के विधायक हैं, जिनके द्वारा अपने पत्र पर स्थानान्तरण करने का आग्रह किया। ऐसे करीब 70 विधायक बताये जा रहे हैं जिनके क्षेत्रों से शिक्षकों के तबादले नहीं हो पाये हैं। यह एमएलए मानसून सत्र के दौरान संभावित सदन में भी यह मुद्दा उठा सकते हैं। नतीजतन दूसरा रास्ता निकाला गया है। संचालनालय कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने संचालक केके द्विवेदी एवं डीएस कुशवाहा की मीटिंग ली। उन्होंने विधानसभा तैयारियों के विषय में चर्चा की। शिक्षको के स्थानान्तरण संदर्भपर भी उन्होंने बात की। फिर ई-अटेंडेंस का अपडेट भी उन्होंने इन अधिकारियों से लिया।
विधायकों का बन रहा प्रेसर
मिली जानकारी के अनुसार विभाग ने ऐसे करीब 157 प्रकरण चिन्हित किये हैं। जिनके स्थानान्तरण करवाने विधायक दबाव बना रहे हैं। यह वह प्रकरण है, जिनमें पति एवं पत्नी एक दूसरे से मीलों दूर सेवाएं दे रहे हैं। विधवा-विकलांग एवं गंभीर रूप से बीमार शिक्षक भी शामिल है। अधिकारी कहते हैं कि 28 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। इसके पहले ही यह फाइलें शिक्षामंत्री के अनुमोदन से लोक शिक्षण संचालनालय आ रही हैं। गौरतलब है कि लोक शिक्षण संचालनालय में इस बार 50 हजार शिक्षकों ने स्थानान्तरण के लिए आवेदन किए थे, लेकिन 9 हजार शिक्षकों के स्वैच्छिक स्थानान्तरण किए गए, जबकि दो हजार प्रशासनिक रूप से तबादले हुए है। अनेक ऐसे शिक्षक भटक रहे है, जिनमें पति पत्नी एक दूसरे से दूर सेवा कर रहे हैं। हर दिन बीमार, विकलांग एवं अन्य समस्याओं से पीडि़त शिक्षक संचालनालय में स्वैछिक जगह स्थानान्तरण कराने की गुहार लगा रहे हैं।
उपस्थिति और फोटो उजागर होने पर शिक्षक महासंघ ने जताई आपत्ति
मप्र शासकीय शिक्षक महासंघ ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों की उपस्थिति हेतु लागू सार्थक मोबाइल एप प्रणाली पर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की है। महासंघ के संयोजक प्रो. कैलाश त्यागी द्वारा प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग एवं आयुक्त, उच्च शिक्षा को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि यह व्यवस्था गोपनीयता का उल्लंघन है, इससे शिक्षक-विद्वानों की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। ज्ञापन में यह भी उल्लेख है कि न्यायालय द्वारा भी इस प्रकार की निगरानी प्रणाली को असंवैधानिक बताया जा चुका है। साथ ही यह तकनीकी दृष्टि से भी अव्यवहारिक है क्योंकि सभी शिक्षकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्याएं आम हैं। अतरू महासंघ ने मांग की है कि शिक्षक की गरिमा एवं निजता को ध्यान में रखते हुए विभाग इस विषय में तत्काल निर्णय ले। महासंघ ने कहा है कि वर्तमान में विभाग द्वारा बनाई गई मोबाइल एप सार्थक से अतिथि विद्वानों की उपस्थिति ली जा रही है, इसमें शिक्षक को प्रतिदिन स्वयं की फोटो (सेल्फी) अपलोड करनी होती है, जिससे उनकी उपस्थिति दर्ज होती है।