अहिल्या नगरी इंदौर बनी दिव्य क्षण की साक्षी — श्री दिगंबर जैन समाज के भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव में अनेक दीक्षार्थियों ने अपनाया संयम जीवन

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Drnewsindia.com

इंदौर अहिल्या नगरी इंदौर आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण की साक्षी बनी। विजयनगर स्थित आईडीए ग्राउंड पर दिगंबर जैन समाज द्वारा आयोजित भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव में अनेक दीक्षार्थियों ने सांसारिक जीवन का त्याग कर संयम मार्ग को अपनाया। कार्यक्रम में आचार्य श्री 108 विनम्र सागरजी महाराज सहित अनेक संतगणों का सान्निध्य रहा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन को समाज और अध्यात्म के लिए प्रेरणादायी बताया।

इंदौर के डेली कॉलेज के पूर्व छात्र और बांसवाड़ा के प्रमुख कारोबारी अनिल मेहता ने अपने 58 वर्ष के सांसारिक जीवन का त्याग कर मुनि दीक्षा ग्रहण की। उन्होंने आचार्य श्री विनम्र सागरजी महाराज से मुनि दीक्षा लेकर संयम जीवन का प्रथम चरण आरंभ किया।

“लग्जरी और भौतिक जीवन क्षणिक है। असली आनंद संयम, साधना और तप में है। गुरुदेव की सरलता और वात्सल्य ने मुझे वैराग्य मार्ग की ओर प्रेरित किया।”

उन्होंने बताया कि उनके परिवार — पत्नी मीनल, पुत्र कृतज्ञ (एडवोकेट), पुत्रवधू पूनम (सीए), पुत्री जलज (कंपनी सेक्रेटरी) और दामाद पल्लव (सीए) — सभी ने उनके निर्णय का समर्थन किया।

वैराग्य ग्रहण से पूर्व निकली बिनौली यात्रा

शनिवार रात दीक्षा से पूर्व जैन मंदिर स्कीम-54 से भव्य बिनौली यात्रा निकाली गई। पारंपरिक वेशभूषा में समाजजन बग्घियों, विंटेज कारों और डीजे के साथ यात्रा में शामिल हुए। दीक्षार्थी अनिल मेहता को बग्घी पर बिठाया गया और पत्नी मीनल सहित परिवार ने समाज का अभिवादन स्वीकार किया। यात्रा के मार्ग में फूलों की वर्षा हुई और जयकारों से शहर गूंज उठा।

रविवार तड़के दीक्षा समारोह की शुरुआत केशलोंच विधान से हुई। दीक्षार्थियों ने हंसते हुए अपने केशों का त्याग किया, जो राग, द्वेष और मोह के त्याग का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद गुरु भक्ति, स्तोत्र पाठ और मंगल स्नान जैसे पारंपरिक विधान हुए।

सुबह 9 बजे कलश यात्रा और शोभायात्रा निकाली गई, जो विजयनगर क्षेत्र से होते हुए मंदिर परिसर तक पहुंची। मुख्य दीक्षा समारोह दोपहर 1 बजे आरंभ हुआ।

इस दिव्य आयोजन में सात महिला दीक्षार्थियों — साध्वी आस्था जैन, मनीषा जैन, मीरा जैन, सोनम जैन, नेहा जैन, ज्योति जैन और अंशु जैन — ने भी वैराग्य व्रत धारण किया। आयोजक राहुल जैन केसरी, सुरेश भइया और जिनेश भइयाजी ने बताया कि यह दीक्षा केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और कल्याण का मार्ग है।

इस आयोजन में आचार्य श्री विशद सागरजी, आचार्य श्री विभव सागरजी, आचार्य श्री प्रसन्न ऋषिजी, आचार्य श्री विप्रणत सागरजी सहित देशभर से आए 100 से अधिक संतगण उपस्थित रहे। इंदौर सहित देश के विभिन्न प्रांतों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य क्षण का साक्षात्कार किया।

विजयनगर क्षेत्र में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम देखने को मिला। पूरे आयोजन स्थल को पुष्पमालाओं, रंगोली और भगवा-पताकाओं से सजाया गया था।

दीक्षा समारोह के समापन पर धर्मसभा, प्रवचन, गुरुभक्ति कार्यक्रम और सामूहिक वात्सल्य भोज का आयोजन किया गया।

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