सीहोर / जिले के इछावर, लाड़कुई वन परिक्षेत्र में सरदार वल्लभ भाई पटेल अभयारण्य का प्रस्ताव तैयार किया गया है। अभयारण्य के लिए वनभूमि को खाली कराने यहां के आदिवासी परिवारों को वनभूमि खाली करने के नोटिस दिए गए हैं। इसके अलावा वन विकास निगम और वन विभाग द्वारा वनभूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है। सालों से वनभूमि पर काबिज आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है। शनिवार को वन विभाग की इस कार्रवाई के विरोध में आदिवासी परिवार ट्रैक्टर-ट्रॉली से बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए सरकार और वन विभाग के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। एक साथ बड़ी संख्या में आदिवासियों के सडक पर आने को लेकर बस स्टैंड से कलेक्ट्रेट और भोपाल नाके तक ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बन गई। इस दौरान केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान भी सीहोर में थे, उन्होंने आदिवासियों ने ज्ञापन दिया और उन्हें भरोसा दिलाया कि गलत तरीके से उनका कब्जा नहीं हटाया जाएगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान को ज्ञापन के माध्यम से आदिवासियों ने बताया कि सीहोर आदिवासी परिवार सीहोर जिले के 200 से अधिक गांवों की निवासरत है, उनकी जनसंख्या 2 लाख से ज्यादा है। उन्हें लगातार वनभूमि एवं वन ग्रामों से बेदखल करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। आदिवासियों ने मांग की है कि वन परिक्षेत्र इछावर और लाडकघ्ुई में आरक्षित वनों को सरदार वल्लभ भाई पटेल अभ्यारण्य बनाने का जो प्रस्ताव अधिसूचित किया गया है, उसे तत्काल प्रभाव से शासन स्तर पर लिखित में निरस्त किया जाए। वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत सीहोर जिले में जितने भी वन मित्र पोर्टल पर आवेदन किए गए हैं, उनका निराकरण कर उनके अधिकार पत्र बनाए जाएं। वन विभाग एवं वन विकास निगम द्वारा आए दिन हमारी पुरानी भूमि जिस पर करीब 30-35 सालों से कृषि कार्य कर रहे हैं, साक्ष्य नहीं होने के अभाव में पुरानी कृषि भूमि को नई बताकर जो कार्रवाई की जा रही है, उसे शीघ्र रोका जाए। उन्होंने कहा कि सीहोर जिले में निवासरत आदिवासी अब कोई भी नया अभ्यारण्य नहीं चाहते हैं। सीहोर-रायसेन जिले में इसी वर्ष रातापानी अभयारण्य भी बनाया गया है। रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को भारत के 57वें बाघ रिजर्व के रूप में नामित किया गया है।
कलेक्ट्रेट के सामने लगा जाम
कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे आदिवासी समुदाय के लोग काफी आक्रोशित थे। आंदोलनकारियों में न केवल युवा और बुजुर्ग थे, महिला और बच्चे भी सड़क पर सरकार के खिलाफ हाथ में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते नजर आए। वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत वन अधिकार पत्र बनाए जाएं, हमारी जमीन पर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बेदखली नहीं चलेगी-नहीं चलेगी के नारे लगाते हुए आदिवासी समुदाय के लोग जैसे ही कलेक्ट्रेट के गेट पर पहुंचे, एक बार तो अफसरों के भी हाथ-पांव फूल गए, लेकिन जैसे ही केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान उनके बीच पहुंचे और भाषण दिया। सब खुश हो गए। भीड़ तालियां बजाने लगी। इस दौरान लंबे समय तक कलेक्ट्रेट के सामने ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई।
कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान के अफसरों के गड़बड़ सड़बड़ करने वाले बयान को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजीव गुजराती ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान को बताना चाहिए कि आपकी सरकार में अफसरशाही हावी है तो इसके जिले जिम्मेदार कौन है? सरकार जो नीति बनाती है, अफसर उसका क्रियान्वयन कराते हैं, सरकार की विफलता का अफसरों पर ठीकरा फोड़ना गलत है। मंत्री का यह बयान भाजपा सरकार के अंदर की खींचतान को बताने वाला है। यदि से आदिवासी हितैषी हैं तो तत्काल वन विभाग की कार्रवाई को रूकवा कर उन्हें उनकी जमीन के पट्टे दिलाएं।