डीआर न्यूज इंदिया डॉट कॉम/पृथ्वी पर मंगल ग्रह की एक चट्टान पाई गई थी, जिसे नीलाम किया जाने वाला है। यह मंगल ग्रह की सबसे बड़ी चट्टान है, जिसका नाम NWA 16788 उल्कापिंड है। इस महीने के अंत तक इस नायाब उल्कापिंड की नीलामी का आयोजन करवाया जाएगा। इसका आयोजन सोथबी नामक नीलामीघर द्वारा करवाया जा रहा है। यह उन लोगों के लिए अहम है, जो मंगल ग्रह के विषय में शोध करना चाहते हैं या अंतरिक्ष से जुड़ी चीजों में दिलचस्पी रखते हैं।
कब और कहां खोजी गई थी यह चट्टान?
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस चट्टान का वजन 24 किलो है। इसे नवंबर 2023 में नाइजर के सुदूर अगाडेज क्षेत्र में एक वैज्ञानिक ने खोजा था। यह मंगल ग्रह से गिरे ज्यादातर उल्कापिंडों की तुलना में विशाल है, जो आमतौर पर छोटे टुकड़े होते हैं। NWA 16788 के आंतरिक विश्लेषण से पता चला है कि यह एक क्षुद्रग्रह के प्रभाव से मंगल की सतह से उड़ गया था और धरती पर आ गिरा था।
न्यूयॉर्क में होने वाली है यह ऐतिहासिक नीलामी
NWA 16788 की नीलामी 16 जुलाई को सोथबी के न्यूयॉर्क स्थित कार्यालय में होने वाली है। यह ‘प्राकृतिक इतिहास बिक्री’ का हिस्सा होगा और इसे अब तक का सबसे दुर्लभ उल्कापिंड बताया जा रहा है। इस चट्टान की अनुमानित कीमत 17 से 34 करोड़ रुपये के बीच तय की गई है। सोथबी ने NWA 16788 को एक ‘स्मारकीय नमूना’ बताया है, जो पृथ्वी पर अब तक पाए गए मंगल ग्रह के अन्य टुकड़ों से लगभग 70 प्रतिशत बड़ा है।
यह चट्टान क्यों है इतनी अहम?
अब तक पृथ्वी पर मंगल ग्रह के केवल 400 उल्कापिंड खोजे गए हैं, यही कारण है कि इसकी नीलामी इतनी अहम है। सोथबी के विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास के उपाध्यक्ष कैसंड्रा हैटन ने इसे असाधारण महत्व की खोज बताया है। यह चट्टान लाल रंग की है और इसकी सतह पर कांच जैसी परतें भी दिखाई देती हैं। सोथबी ने कहा, “मंगल ग्रह के टुकड़े अविश्वसनीय रूप से दुर्लभ हैं। 77,000 उल्कापिंडों में से केवल 400 ही मंगल ग्रह के हैं।”
इस नीलामी से खुश नहीं हैं वैज्ञानिक
एक ओर जहां कुछ लोग इस उल्कापिंड की नीलामी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने इस दुर्लभ चट्टान की नीलामी पर नाराजगी जताई है। स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में जीवाश्म विज्ञान और विकास के प्रोफेसर स्टीव ब्रुसेट ने कहा कि यह शर्म की बात होगी अगर उल्कापिंड सार्वजनिक अध्ययन और आनंद के लिए संग्रहालय में प्रदर्शित होने के बजाय किसी कुलीन वर्ग की तिजोरी में समा जाए।
जुलाई और अगस्त के महीनों में धरती थोड़ी और तेजी से घूमेगी

आपने सुना होगा कि धरती घूमती है, और इसी से दिन-रात होते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल जुलाई और अगस्त के महीनों में धरती थोड़ी और तेजी से घूमेगी। इससे हमारे दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे।
धरती के रोटेशन और टाइम पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘timeanddate.com’ ने नई रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, 2025 में 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त के दिन सबसे छोटे होने की संभावना है। हालांकि, ये बदलाव इतना छोटा होगा कि आप इसे महसूस भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि ये सिर्फ मिलीसेकंड में मापा जाएगा। जैसे, 5 अगस्त को दिन एवरेज से करीब 1.51 मिलीसेकंड छोटा होने का अनुमान है।
दिलचस्प बात ये है कि धरती अपनी धुरी पर साल में 365 से ज्यादा बार घूमती है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। कई कैलकुलेशंस से पता चला है कि पहले धरती को सूरज का एक चक्कर लगाने में 490 से 372 दिन लगते थे।
क्यों तेज हो रही धरती की रफ्तार? वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तेजी के पीछे 4 प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला, धरती के कोर (अंदरूनी हिस्से) के अंदर होने वाली गतिविधि के चलते घूमने की गति पर असर पड़ रहा।
दूसरा, पिघलते ग्लेशियरों से धरती के मास का बंटवारा भी एक वजह है। तीसरा, एल नीनो और ला नीना जैसी मौसमी घटनाएं, जो दुनिया भर में मास को फिर से बांटती हैं। और चौथा, तीन तारीखों पर चंद्रमा धरती के इक्वेटर से अधिकतम दूरी पर होगा।