Drnewsindia.com/भोपाल
मध्यप्रदेश में किसानों के लिए खाद पाना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। हालात ये हैं कि खाद का टोकन लेना भी भारी पड़ रहा है। कहीं टोकन वितरण को लेकर धक्कामुक्की हो रही है तो कहीं किसानों पर लाठीचार्ज तक करना पड़ रहा है। सीएम डॉ. मोहन यादव पहले ही साफ कह चुके हैं कि यदि किसी जिले में खाद वितरण को लेकर अव्यवस्था होगी तो कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। इसके बावजूद हालात काबू से बाहर हैं।
प्रदेश के करीब 22 जिलों में खाद की भारी किल्लत बनी हुई है। किसान संगठन सवाल उठा रहे हैं कि जब केंद्र और राज्य सरकार दोनों कह रही हैं कि खाद की कमी नहीं है, तो फिर आखिर किसान खाली हाथ क्यों लौट रहे हैं? क्या कालाबाजारी हो रही है या वितरण व्यवस्था फेल है?
किसानों का गुस्सा: तीन केस से समझिए संकट
केस 1: रीवा में काउंटर बंद, किसानों पर लाठीचार्ज
रीवा के करहिया मंडी में किसान सुबह 5 बजे से लाइन में लगे थे। लेकिन जब अचानक काउंटर बंद कर दिया गया तो गुस्सा फूट पड़ा। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया। कई इलाकों से ऐसी ही तस्वीरें सामने आईं।
केस 2: सतना में यूरिया न मिला तो चक्काजाम
सतना जिले में किसान लगातार खाली हाथ लौट रहे थे। 8 सितंबर को गुस्साए किसानों ने सतना-पन्ना मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। इस दौरान राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी का काफिला भी जाम में फंस गया। किसानों का आरोप है कि टोकन लेने के बाद भी खाद नहीं मिल रही।
केस 3: भिंड में लाठीचार्ज, विधायक भी कूदे
भिंड के लहार कस्बे में किसान सुबह से लाइन में लगे थे, लेकिन दोपहर तक भी खाद नहीं मिली। भीड़ बढ़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें 4 किसान घायल हो गए। विधायक अंबरीश शर्मा मौके पर पहुंचे और इसे अन्नदाता का अपमान बताते हुए कार्रवाई की मांग की।
किसानों के आरोप
- टोकन के लिए भी मारामारी, फिर भी खाद नहीं मिलती।
- निजी दुकानदार यूरिया के साथ जिंक-सल्फर जबरन थमा रहे हैं।
- सोसायटियां कहती हैं स्टॉक नहीं है, जबकि रोज ट्रक आते हैं।
- कालाबाजारी में खाद ब्लैक होकर 2000-5000 रुपए तक के टोकन पर बेची जा रही है।
एक्सपर्ट की राय: खाद संकट की 5 बड़ी वजहें
- पिछले साल के मुकाबले 40% कम आयात और घटा उत्पादन।
- धान-मक्का की बुवाई बढ़ने से यूरिया की डिमांड ज्यादा, भंडारण असंभव।
- व्यापारी और सप्लायर आर्टिफिशियल कमी पैदा कर रहे हैं।
- मिलावटखोरी और नकली खाद का धंधा।
- राज्य सरकार की तरफ से सही प्लानिंग और समय पर भुगतान की कमी।
सरकार की सफाई
कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने माना कि वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा,
“गलती हमसे और अधिकारियों से हुई। जहां एक दुकान थी, वहां अब दो और जरूरत पड़ने पर चार दुकानें खोलने का निर्देश दिया गया है।”
रिपोर्ट्स में भी गड़बड़ियों का खुलासा
- कैग रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से 2022 तक प्रदेश में 2,562 मीट्रिक टन नकली खाद बेची गई।
- ₹10.50 करोड़ का रिबेट घोटाला सामने आया।
- 8 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा खाद अवैध तरीके से फैक्ट्रियों व कंपनियों को बेचा गया।
- 2020-25 के बीच 7,200 से ज्यादा नकली खाद के मामले दर्ज हुए, 1,000 से ज्यादा लाइसेंस निलंबित और 157 स्थायी रूप से रद्द।
किसानों की मांग है कि खाद का वितरण पारदर्शी तरीके से हो और कालाबाजारी पर रोक लगे। फिलहाल हालात देखकर साफ है कि प्रदेश में खाद संकट गहराता जा रहा है और किसान दोहरी मार झेल रहे हैं – एक तरफ टोकन का झंझट और दूसरी तरफ लाठी-डंडे।