भोपाल / एम्स भोपाल की पैथोलॉजी और लैब मेडिसिन विभाग की जांच अब पहले से कहीं ज्यादा सटीक और भरोसेमंद होगी। वजह यहां की लैब्स को नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) की मान्यता मिल गई है। यह मान्यता आईएसओ 15189रू2022 के तहत 88 डायग्नोस्टिक पैरामीटर्स के लिए दी गई है। एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक प्रो. अजय सिंह ने कहा- यह मान्यता हर मरीज को यह भरोसा देने वाली उपलब्धि है कि उन्हें वैज्ञानिक, निष्पक्ष और इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर आधारित रिपोर्ट मिलेगी। डॉ. ई जयशंकर के नेतृत्व में डॉ. तान्या, डॉ. हेमलता, डॉ. जयकुमार और डॉ. शक्ति ने डिप्टी क्वालिटी मैनेजर के रूप में योगदान दिया।
हर रिपोर्ट पर तीन स्तर की जांच
बाहरी विशेषज्ञों से होगा मूल्यांकन और ऑडिट रू एनएबीएल की गाइडलाइन के अनुसार लैब्स में समय-समय पर बाहरी मूल्यांकन और इंटरनल ऑडिट होते रहेंगे। यानी रिपोर्ट जारी होने से पहले वह कई गुणवत्ता की कसौटियों से गुजरेगी।
डॉ. मनीष शर्मा ने संभाला काम
तय प्रोटोकॉल के अनुसार जांच रू हर टेस्ट को अब स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) के अनुसार किया जाएगा। इसमें सैंपल कलेक्शन से लेकर रिपोर्ट जनरेट करने तक हर स्टेप वैज्ञानिक मानकों पर आधारित होगा।
तकनीकी परीक्षण से गुजरेंगी रिपोटर्रू लैब की हर प्रक्रिया तकनीकी रूप से जांची जाएगी कि वह मापदंडों के अनुरूप है या नहीं। इससे रिपोर्ट की सटीकता और दोहराव की विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी।