सीहोर / श्रीराम कथा हमें अनुशासन और मर्यादा में रहना सिखाती है। साथ ही यह मानव का सही मार्गदर्शन भी करती है। जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है और बहुत सत्कर्मों के बाद ही मनुष्य का जीवन मिलता है। उक्त विचार शहर के रुकमणी गार्डन में चित्रांश समाज और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा सीहोर के तत्वाधान में आरंभ हुई सात दिवसीय श्रीराम कथा के पहले दिन संत उद्धावदास महाराज ने कहे। कथा के पहले दिन शुगर फैक्ट्री स्थित त्यागी बाबा आश्रम से कलश यात्रा निकाली गई जो प्रमुख मार्गों से होते हुए कथा स्थल पर पहुंची और उसके पश्चात यहां पर विधि-विधान से कथा का आरंभ किया गया।
इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। कथा के पहले दिन श्रीराम कथा के बारे में विस्तार से बताया इस मौके पर संत श्री उद्धवदास महाराज ने कहा कि मानव जीवन हमें हमारे पुण्य से मिला है, मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। प्रवचन के दौरान महाराज ने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पत्नी, भाई- बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहु सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है। इस अवसर पर चित्रांश समाज और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष प्रदीप कुमार सक्सेना, शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने सात दिवसीय श्रीराम कथा में आकर सभी श्रद्धालुओं से कथा का श्रवण करने की अपील की है। कथा रात्रि आठ बजे से आरंभ होती है।