प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी में जनसभा को संबोधित करते हुए — आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी को अपनाने की दी प्रेरणा
drnewsindia.com/वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र काशी (वाराणसी) में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी को लेकर एक बार फिर से स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया। उन्होंने कहा – “मैंने वचन दिया था और वह वचन अब पूरा हो रहा है। सिंदूर के बदले का वचन था, जो आज मेरे काशीवासियों के आशीर्वाद से साकार हो रहा है।”
मोदी का यह बयान भावनात्मक भी था और रणनीतिक भी। एक ओर वह अपनी भावनात्मक जुड़ाव को जनता से जोड़ रहे थे, तो दूसरी ओर भारत को वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़ा करने का रोडमैप भी पेश कर रहे थे।
आत्मनिर्भर भारत का पुनः संकल्प
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, “आज भारत का नागरिक संकल्प के साथ खड़ा है कि वह वही खरीदेगा, वही बेचेगा जिसे बनाने में किसी भारतीय का पसीना बहा हो।” उन्होंने कहा कि भारत अब सस्ते विदेशी सामानों की होड़ में नहीं फंसेगा। अब हमारा लक्ष्य है – स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की कि वे ‘वोकल फॉर लोकल’ को सिर्फ नारा न मानें, बल्कि यह उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन जाए। उन्होंने उदाहरण दिया कि त्योहारों से लेकर विवाह जैसे समारोहों तक, हमें यह तय करना चाहिए कि हर वस्तु स्थानीय और भारतीय कारीगरों द्वारा निर्मित हो।
टैरिफ वॉर और आर्थिक आत्मरक्षा
मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि ‘टैरिफ वॉर’ यानी सस्ते विदेशी सामान के दबाव को भारत अब स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कई आवश्यक वस्तुओं पर आयात शुल्क (इम्पोर्ट टैरिफ) बढ़ाया है ताकि देश के कारीगरों, छोटे व्यापारियों और घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सके।
“हमारे देश के बुनकर, दस्तकार, किसान और स्टार्टअप आज आत्मबल के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हम क्यों किसी और के उत्पाद को प्राथमिकता दें जो हमारे युवाओं का रोजगार छीनता है?”, मोदी ने सवाल उठाया।
काशी में विकास की झलक
प्रधानमंत्री ने काशी में चल रही विकास योजनाओं और उनके फलों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि काशी को सांस्कृतिक राजधानी के साथ-साथ आधुनिक नगरी के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। सड़क, बिजली, जल, पर्यटन, हेरिटेज संरक्षण और स्मार्ट शहर के दिशा में कई योजनाएं जमीन पर उतर चुकी हैं।
प्रधानमंत्री ने स्थानीय कारीगरों, बुनकरों और महिला स्वयं सहायता समूहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि “काशी के घाट, मंदिर और गलियों में आत्मनिर्भर भारत की आत्मा बसती है।”
विपक्ष पर तंज
मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “जो लोग पहले भारत की आत्मा को कमजोर करते थे, आज वही लोग हमारे संकल्पों पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि अब भारत 21वीं सदी की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरेगा – आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी और स्वदेशी।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पिछली सरकारों ने लोकल को कभी प्राथमिकता नहीं दी। “हर चीज विदेश से मंगवाना और स्वदेशी को दोयम दर्जा देना, यही नीति थी। अब यह नीति बदली है,” उन्होंने जोर देकर कहा।
जनता से सीधा संवाद
प्रधानमंत्री ने अपने 40 मिनट के भाषण में जनता से सीधे संवाद करते हुए यह भी कहा कि “यह देश तब तक आगे नहीं बढ़ेगा जब तक हर नागरिक यह ठान न ले कि हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। यह सिर्फ सरकार का काम नहीं, हर नागरिक का संकल्प होना चाहिए।”
उन्होंने ग्रामीण महिलाओं, युवाओं, स्टार्टअप्स और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे नवाचार करें, भारतीय उत्पाद बनाएं और उनमें विश्वास रखें।
आगे की रणनीति
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत अब उत्पादन और व्यापार के नए केंद्रों के रूप में उभर रहा है। सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’, MSME सहायता, PLI योजना, और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों के तहत लाखों लोगों को स्वरोजगार के अवसर दिए हैं।
वह बोले – “हमारे छोटे कारीगरों की मेहनत अब वैश्विक पहचान पा रही है। हमें उसे और आगे ले जाना है। अब समय है कि हम सस्ते के पीछे नहीं, गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता के पीछे भागें।”
काशी की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो संदेश दिया, वह सिर्फ भाषण नहीं था, बल्कि एक आर्थिक-सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत जैसा है। यह आह्वान है उन करोड़ों भारतीयों के लिए जो आज भी स्थानीय स्तर पर कुछ कर दिखाने की उम्मीद रखते हैं।
“सिंदूर के बदले का वचन” अब आत्मनिर्भरता के वचन में बदल चुका है — यह नया भारत का नया संकल्प है।