आष्टा / क्षेत्र के 22 हजार हेक्टेयर में फैले जंगल में वर्तमान में 50 तेंदुआ, 10 बाघ, पांच हजार हिरण आदि वन्यप्राणी हैं। इनमें से कई पानी की तलाश में भटकते हुए जंगल से रहवासी एरिया की तरफ रूख कर रहे हैं। दो महीने पहले ही तेंदुआ का बच्चा रिछड़िया गांव में एक किसान के खेत में पहुंच गया था, जिसे रेस्क्यू कर बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला था।
तेंदुआ की दशहत से 6 गांवों को मिली राहत
सीहोर. जिले के आष्टा क्षेत्र में पिछले 11 दिनों से पाड़लिया, गुलरिया, पदमसी, पटाड़ा चैहान सहित 6 गांवो के लोगों के लिए दहशत की वजह बना तेंदुआ मंगलवार सुबह 8 बजे वन विभाग के पिंजरे में शावक के साथ कैद हो गया। वन अमले ने पशु चिकित्सा विभाग की टीम से स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद तेंदुआ और शावक को रोलागांव बीट के जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया है। तेंदुआ के गांवों से दूर जंगल में जाने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
जानकारी के अनुसार पाड़लिया गांव में 16 मई से तेंदुआ का मूवमेंट देखी जा रहा था। इससे ग्रामीणों डर रहे थे। रात के समय खेतों पर जाने से भी कतरा रहे थे। ग्रामीणों ने इसकी सूचना आष्टा रेंजर नवनीत झा को दी। रेंजर ने वन परिक्षेत्र सहायक रोलागांव शैलेष कुमार सिंह को टीम के साथ मौका के भेजा। वन अमले ने मुआयना किया तो पता चला कि तेंदुआ निरंतर शिकार कर रहा है। मवेशी के अवशेष और पग मार्ग मिले। इसके बाद वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया।
वन विभाग ने 17 मई को पाड़लिया के सुरेंद्र सिंह के खेत के पास नाले में आठ फीट लंबा और चार फीट चैड़ा पिंजरा लगाकर उसके तेंदुआ के लिए बकरा बांधा।
गतिविधि पर नजर रखी
पिंजरा लगाने के बाद वन अमला ने गतिविधि पर नजर रखी। दूसरी तरफ ग्रामीणों को भी सावधानी बरतने और तेंदुआ के मूवमेंट से तत्काल अवगत कराने को कहा। मंगलवार को बकरे को शिकार करने एक मादा तेंदुआ शावक के साथ पिंजरे में कैद हो गया। इसका पता चलते ही वन विभाग ने पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. विनोद कुमार शुक्ला से दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया, उसके बाद बीट रोलागांव जंगल में छोड़ दिया।
जंगल में छोड़ दिया है
पाड़लिया गांव में तेंदुआ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया था। इस पिंजरे में मादा तेंदुआ और एक शावक कैद हो गया है। पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर से स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद वापस जंगल में छोड़ दिया है।
-नवनीत झा, रेंजर वन विभाग आष्टा