टीचर ने थप्पड़ मारा, बच्चे की मौत:बच्चों की सुरक्षा को लेकर क्या है कानून
डीआर न्यूज इंडिया
UP: बीते दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में टीचर द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद नर्सरी के साढ़े तीन साल के बच्चे की मौत हो गई। दूसरी क्लास में पढ़ने वाले मृतक के भाई ने बताया कि उसका भाई रो रहा था। टीचर्स उसे बेंच पर बैठा गईं। जब उसने रोना बंद नहीं किया तो टीचर ने उसके गाल पर जोर से थप्पड़ मारा, जिससे उसका सिर पास की बेंच से टकरा गया और मुंह-नाक से खून बहने लगा। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया और रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
यह कोई पहली घटना नहीं है। देशभर के स्कूलों से समय-समय पर ऐसे मामले सामने आते हैं। जहां बच्चों के साथ टीचर्स द्वारा मारपीट की जाती है। मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है या अपमानित किया जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या टीचर को बच्चों के साथ मारपीट करने का अधिकार है? अगर नहीं तो भारतीय कानून इसे लेकर क्या कहता है?
भारतीय कानून कहता है कि-
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर व्यक्ति को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जिसमें बच्चों की गरिमा और सुरक्षा भी शामिल है।
- राइट टू एजुकेशन एक्ट, 2009 (RTE Act) की धारा 17 के अनुसार, कोई भी छात्र शारीरिक दंड या मानसिक प्रताड़ना का शिकार नहीं होगा। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने ‘पेरेंट्स फोरम फॉर मीनिंगफुल एजुकेशन बनाम भारत सरकार (2001)’ केस में स्पष्ट रूप से कहा था कि-
“स्कूलों में शारीरिक दंड का कोई स्थान नहीं है। बच्चों की गरिमा के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। अनुशासन सिखाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल असंवैधानिक है।”
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि केंद्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि सभी स्कूलों में शारीरिक दंड पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। इसके खिलाफ सख्त नियम भी बनाए जाएं।