आष्टा / सिविल अस्पताल में दो नई डायलिसिस मशीनें लगाई गई हैं। अब यहां कुल चार मशीनें मशीने हो गई हैं। इससे मरीजों को डायलिसिस के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। समय और खर्च दोनों की बचत होगी। पहले दो मशीनों के कारण एक दिन में सिर्फ दो मरीजों की डायलिसिस हो पाती थी। अब चार मरीजों की डायलिसिस एक दिन में हो सकेगी।
अस्पताल में 16 मरीज रजिस्टर्ड हैं। एक मरीज की डायलिसिस में करीब चार घंटे लगते हैं। मशीनें कम होने से बाकी मरीजों को सीहोर, भोपाल या इंदौर जाना पड़ता था। सीबीएमओ डॉ. अमित माथुर ने जिला अस्पताल से दो और मशीनों की मांग की थी। इसके बाद वहां से दो मशीनें आष्टा भेजी गई। यह सुविधा मरीजों को निशुल्क मिलती है। पहले दो मशीनें विधायक के प्रयास से लगी थीं। अब मरीजों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। बाहर जाने का खर्च और समय दोनों बच रहे हैं।
ये ठीक होना बहुत जरूरी
सीटी स्कैन मशीन अब भी बंद, सोनोग्राफी भी नहीं हो रही
अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन कई महीनों से खराब है। इसकी मरम्मत के लिए 24 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं। इंजीनियर सुधार का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन पार्ट्स सपोर्ट नहीं कर रहे। इस कारण मशीन अब तक ठीक नहीं हो पाई है। सीटी स्कैन और सोनोग्राफी मशीन एक करोड़ 30 लाख की लागत से लगी थीं। अब मरीजों को निजी अस्पताल में तीन से चार हजार रुपए खर्च कर सीटी स्कैन कराना पड़ रहा है। तभी इलाज शुरू हो पाता है। सोनोग्राफी की पोर्टेबल मशीन भी शोपीस बनी हुई है। शासन के नियम अनुसार महीने में दो बार अस्पताल से टोकन लेकर निजी संस्थानों में सोनोग्राफी कराई जा सकती है। इससे कुछ राहत जरूर है। जरूर है। आष्टा भोपाल-इंदौर हाईवे पर स्थित है। यहां आए दिन हादसे होते हैं। ऐसे में सीटी स्कैन मशीन की जरूरत और भी ज्यादा है। यह मशीन शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच में जरूरी होती है। ट्यूमर या चोट की पहचान में यह मददगार है।
मरीजों को मिलगा लाभ
नगर के सिविल अस्पताल में दो डायलिसिस मशीन आने से मरीजों को राहत मिलेगी। सिविल अस्पताल में डायलिसिस के मरीज की संख्या 17 हो गई है। वहीं अब चार मशीन आने की वजह से मरीज को इलाज में आसानी होगी।
-डॉ अमित माथुर, सीबीएमओ