भैरुंदा तहसील की घटना पर अदालत का ऐतिहासिक फैसला, न्यायालय ने कहा— बच्चों पर अत्याचार अक्षम्य अपराध
Drnewsindia .com /सीहोर। जिले की भैरुंदा तहसील में तीन मासूम बच्चों के साथ अनैतिक कृत्य के जघन्य मामले में अदालत ने आरोपी को कड़ी सजा सुनाई है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश उषा तिवारी ने आरोपी रामू उर्फ रामदास बैरागी (नसरुल्लागंज निवासी) को अंतिम सांस तक कारावास (आजीवन कारावास) और ₹21,000 के आर्थिक दंड की सजा सुनाई। न्यायालय ने कहा कि बच्चों के खिलाफ अपराध अक्षम्य और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य हैं, ऐसे अपराधियों को किसी भी परिस्थिति में रियायत नहीं दी जा सकती।

मामला क्या है?
- घटना: अगस्त 2024
- स्थान: नसरुल्लागंज थाना क्षेत्र
- आरोपी ने मोहल्ले के तीन नाबालिग बच्चों को बहला–फुसलाकर गलत कृत्य किया
- पीड़ित परिवार द्वारा शिकायत दर्ज होने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्त में लिया

पीड़ित बच्चों की मां की शिकायत पर पुलिस ने तत्काल FIR दर्ज कर कार्रवाई की थी। पहले बार चेतावनी देने के बाद भी आरोपी द्वारा दोबारा अपराध किए जाने से परिवार ने मामला दर्ज कराया।
अभियोजन की भूमिका
विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने मामले की पैरवी करते हुए अदालत में मजबूत साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत किए।
वैज्ञानिक साक्ष्यों, मेडिकल रिपोर्ट और गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी का अपराध सिद्ध हुआ।
अदालत ने क्या कहा?
न्यायालय ने फैसले में स्पष्ट कहा—
“बच्चों पर अत्याचार समाज और मानवता के खिलाफ अपराध है। ऐसे आरोपियों के प्रति नरमी दिखाना न्याय और समाज दोनों के लिए घातक है।”
सजा
| विवरण | सजा |
|---|---|
| दंड | अंतिम सांस तक कारावास |
| जुर्माना | ₹21,000 |
समाज के लिए संदेश
इस ऐतिहासिक निर्णय ने स्पष्ट संकेत दिया है कि बाल अपराधों पर अदालत सख्त रुख अपनाएगी और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा। यह फैसला संवेदनशील मामलों में त्वरित और दृढ़ न्याय व्यवस्था का उदाहरण है।




