दोराहा/दिवाली के बाद गांवों में सिर्फ दीयों की रौशनी ही नहीं, बल्कि जोश, परंपरा और ताकत का संग्राम भी देखने को मिला। दोराहा और जमुनिया खुर्द में सालों पुरानी परंपरा के अनुसार पाड़ों का दंगल आयोजित किया गया।
दोराहा में लक्ष्मीनारायण उर्फ पप्पू माली ने प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें कुल 8 पाड़ों ने हिस्सा लिया। पहले मुकाबले में पप्पू माली का पाड़ा विजेता रहा, दूसरी भिड़ंत बराबरी पर खत्म हुई, जबकि तीसरी में राजा पाड़ा ने चिराग पाड़ा को हराया। चौथी भिड़ंत भी बराबरी पर समाप्त हुई। भीड़ इतनी बड़ी थी कि लोग मैदान के चारों ओर और आसपास के मकानों की छतों, पेड़ों पर चढ़कर मुकाबले का आनंद ले रहे थे।
जमुनिया खुर्द में कृष्णा डेरी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में 6 पाड़ों ने हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह आरोरा रहे, जिनका आयोजन समिति ने साफा बांधकर सम्मानित किया। पहली भिड़ंत शमशेरा और चैंपियन पाड़ों के बीच रही। दूसरी भिड़ंत में चिराग और राजा आमने-सामने आए, और चिराग हारकर मैदान से भाग गया। अंतिम मुकाबले में शमशेरा और चैंपियन का संग्राम लगभग 10 मिनट तक चला, जिसे निर्णायकों ने रस्सियों की मदद से रोककर चैंपियन को विजेता घोषित किया। विजेता को 5100 रुपए नगद पुरस्कार दिया गया।
ढोल-ढमाके, बैंडबाजे और आतिशबाजी के बीच ग्रामीणों ने इस परंपरा का आनंद लिया। हर कोई इस अनूठी ग्रामीण परंपरा का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा था।



