भोपाल / नगर निगम के जोन-13 में चेक बाउंस के 40 लाख रुपए से ज्यादा के करीब 8 मामले 7 साल से कोर्ट में पेंडिंग हैं। यह मामले साल 2018 से चल रहे हैं। इनका हल अब तक नहीं निकल पाया है। एक मामले में तो आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तक निगम ने जारी करवा दिया था, लेकिन आज तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। यह हालात तब हैं, जब नगर निगम के पास 84 वकीलों की लंबी टीम है।
यह सभी नगर निगम भोपाल के लिए जिला न्यायालय से लेकर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में केस लड़ते हैं। पहले इन्हें निश्चित वेतन मिलता था, लेकिन अब इन्हें केस और हर सुनवाई के हिसाब से नगर निगम फीस देता है।
यही हालात फैक्ट फाइल न्यायालय केस चल रहे सुप्रीम कोर्ट 22 हाई कोर्ट 995 जिला सत्र कोर्ट 749 एनजीटी 14
सभी 21 जोन की हैं। निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने ऐसे मामलों से लेकर वकीलों तक की जानकारी मांगी है। नगर निगम के जिला न्यायालय से लेकर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में 1800 से ज्यादा केस चल रहे हैं। इसमें जमीन के कब्जे से लेकर चेक बाउंस, प्रापर्टी विवाद, अवैध निर्माण, संपत्ति कर और नगर निगम के खिलाफ भी कई केस इन कोर्ट में चल रहे हैं। यही वकील निगम की तरफ से पैरवी करते हैं।
केस के हिसाब से होता है वकीलों को पेमेंट
जानकारी के अनुसार निगम पहले नियमित वेतन भी वकीलों का रखता था, लेकिन अब केस के हिसाब से पेमेंट करता है। जिला न्यायालय में केस फाइल होने पर 2 हजार रुपए दिए जाते हैं। केस फाइनल होने पर 2 हजार दिए जाते हैं। हालांकि हर सुनवाई भी पैसे लिए जाते हैं। उच्च न्यायालय में केस फाइल करने पर ही 4 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसके बाद वकील हर सुनवाई पर फीस लेता है। यह उनकी हर सुनवाई की फीस लेता है। एनजीटी में निश्चित हर केस की फीस करीब 50 हजार रुपए ली जाती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में वकील को फीस कितनी दी जाती है। यह जानकारी नहीं मिल पाई है।