सीहोर / इस साल मानसून की शुरुआत जल्दी होने से किसानों की परेशानी दोगुनी हो चुकी है। मौसम विभाग ने आगामी 8-10 जून के अंदर मानसून की दस्तक देने की बात कही है। ऐसे में खेतों में अधपकी अवस्था में खड़ी मूंग की फसल को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं। मूंग की फलियां 50 फीसदी पक चुकी हैं और शेष फलियों को पकने में अभी 10 से 15 दिन का समय चाहिए। ऐसे में किसान चिंतित हैं कि कहीं उनकी दो महीने की मेहनत बारिश में व्यर्थ न चली जाए।
दूसरी ओर जिन किसानों ने मूंग की कटाई कर ली है, उन्हें मूंग को सुरक्षित रखने की चिंता सता रही है। एमएसपी पर खरीदी की तिथि घोषित नहीं हुई है, तो परेशान किसानों के सामने आंदोलन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता। ऐसे में किसानों का एक बड़ा आंदोलन प्रदेश के 16 जिलों में शुरू होने के संकेत मिलने लगे हैं।
किसान अब आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार
किसान स्वराज संगठन के प्रदेश सचिव गजेन्द्र जाट ने बताया कि अब तक सरकार द्वारा मूंग खरीदी को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। कृषि मंत्री भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। यदि सरकार मूंग खरीदी की तारीख तय नहीं करती है, तो निश्चित ही प्रदेश के 16 जिलों में किसान सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि आगामी 28 मई को नर्मदापुरम में किसान कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने जा रहे हैं, जिसमें भैरूंदा क्षेत्र सहित कई जगहों के किसान पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। वहीं किसान स्वराज संगठन भी 30 मई को भैरूंदा में किसानों की बैठक लेकर ट्रैक्टर रैली निकालने पर चर्चा करेगा। किसानों को उनका हक मिले, इसके लिए किसान अब आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
6 जून को मंदसौर से होगी आंदोलन की तैयारी
जाट ने बताया कि आगामी 6 जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी है। इस दिन राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ की प्रदेश अध्यक्ष गीता मीणा सहित अन्य कई किसान संगठनों के पदाधिकारी यहां एकत्रित होंगे। यहीं से प्रदेशभर में बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी। जाट के मुताबिक यदि मूंग की खरीदी सरकार नहीं करती है, तो हजारों की संख्या में किसान सड़कों पर ट्रैक्टर रैली निकालकर सड़कों को जाम कर देंगे।
43 हजार हेक्टेयर रकबे में मूंग की बुवाई
बता दें कि क्षेत्र में इस वर्ष 43 हजार हेक्टेयर रकबे में मूंग की बुवाई हुई है। इस वर्ष मौसम की अनुकूलता के चलते मूंग फसल का उत्पादन भी बेहतर निकल रहा है। जागरूक किसानों द्वारा कई नई वैरायटी लगाई गई हैं, जिनका उत्पादन 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक होने की संभावना है। बीते वर्ष 26,022 किसानों से 71,734 मैट्रिक टन मूंग की खरीदी की गई थी, जो कि वर्ष 2022 की तुलना में 2,726 मैट्रिक टन अधिक थी। प्रति किसान से मूंग खरीदी का लक्ष्य 12 क्विंटल रखा गया था, बावजूद इसके रिकॉर्ड खरीदी हुई थी। मूंग खरीदी की एवज में किसानों को 613 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। लेकिन इस वर्ष अब तक मूंग खरीदी को लेकर कोई भी स्पष्ट आदेश जारी नहीं किए गए हैं।
पैराक्वाट एवं ग्लाइफोसेट पेस्टीसाइड का छिड़काव
प्री-मानसून से घबराए किसान 70 फीसदी पकी मूंग फसल में पैराक्वाट एवं ग्लाइफोसेट पेस्टीसाइड का छिड़काव करने को विवश हैं, ताकि मूंग के पत्ते सूख जाएं और वे मानसून से पूर्व अपनी फसल की हार्वेस्टिंग कर सुरक्षित रख सकें। क्षेत्र में मूंग कटाई का दौर शुरू हो चुका है, और कई खेतों में मूंग की फसल कटी पड़ी हुई है। यदि प्री-मानसून की बारिश होती है, तो फसल में नुकसान की संभावना है।