भोपाल / स्टार्टअप को बढ़ावा देकर युवाओं में उद्यमिता का विकास करने के लिए प्रदेश की सातों स्मार्ट सिटी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, सागर और सतना में इनक्यूबेशन सेंटर शुरू किए गए थे। समयावधि पूरी होने के बाद केन्द्र ने स्मार्ट सिटी मिशन परियोजनाओं को फंड देना बंद कर दिया है। इसके साथ ही युवाओं के नए-नए आयडियाज से गुलजार रहने वाले यह इनक्यूबेशन सेंटर बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। अब यहां पर न तो नए स्टार्टअप को मदद मिल पा रही है और न ही कोई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। नए पंजीयन भी बंद कर दिए गए हैं। इससे प्रदेश में सरकार के स्टार्टअप को बढ़ावा देने संबंधी कार्यक्रम भी प्रभावित होने लगा है। इसलिए अब एमएसएमई विभाग इन्हें टेकओवर करने की योजना बना रहा है। इस संबंध में स्मार्ट सिटी कंपनियों से चर्चा शुरू हो गई है।
स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत केन्द्र ने 25 जून 2015 को की थी। तीन चरणों में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना और सागर का चयन किया गया था। मिशन की समयावधि मार्च 2025 में समाप्त हो चुकी है। फंड अलग-अलग परियोजनाओं में खर्च हो चुका है। इससे इनक्यूबेशन सेंटर प्रभावित हो रहे हैं। भोपाल, इंदौर सहित अन्य इनक्यूबेशन सेंटरों ने नए रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है। भोपाल के बी-नेस्ट में पिछले एक साल से कोई इवेंट भी नहीं कराया गया है। अन्य स्मार्ट सिटी के इनक्यूबेशन सेंटर्स में भी स्टार्टअप शुरू करने वालों की एंट्री बंद हो चुकी है।
स्मार्ट सिटीज में बने इनक्यूबेशन सेंटरों ने स्टार्टअप ईकोसिस्टम को बढ़ावा देने में काफी मदद की है। हमने बातचीत शुरू की है। यदि वे तैयार होंगे तो एमएसएमई विभाग इन इनक्यूबेशन सेंटर्स को लेने और संचालन करनेके लिए तैयार है।
इसलिए बिगड़ी हालत
इनक्यूबेशन सेंटरों की हालत इसलिए बिगड़ी क्योंकि यह आत्मनिर्भर नहीं हो पाए। स्टार्टअप के लिए तो फंडिंग कराते रहे लेकिन खुद के लिए व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारियों का ध्यान भी बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर ज्यादा है, इनक्यूबेशन सेंटर्स को उनकी हालत पर छोड़ दिया गया। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों के अनुसार इनक्यूबेशन सेंटर्स को अपना अस्तित्व बचाने आत्मनिर्भर बनना होगा। राज्य सरकार ने भी स्मार्ट सिटी को फंड नहीं दिया है। केंद्र के बचे फंड से काम कराए जा रहे हैं।
अब तक 974 स्टार्टअप को मिल चुकी है मदद
स्मार्ट सिटीज के इनक्यूबेशन सेंटर्स पहले प्रतियोगिताएं आयोजित कर नए आइडियाज का चयन करते थे। मेंटर के माध्यम से इन्हें आगे बढ़ाते थे। आर्थिक मदद भी कराते थे। इसी का नतीजा है कि सातों सेंटर्स से 974 स्टार्टअप मदद पाकर आगे बढ़े हैं। द कबाड़ीवाला, राग इनोवेशंस, विजकॉम एनिमेशंस, हेल्थ क्विक, क्लीन माय राइड, कॉलेज खबरी, स्मार्ट बिंग स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर्स से ही निकले हैं।