डीआर न्यूज इंडिया डाॅटकाॅम / भोपाल के महाराणा प्रताप की प्रसिद्ध रेस्टोरेंट ‘बापू की कुटिया’ को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा का दोषी पाया गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, भोपाल ने यह निर्णय सुनाते हुए रेस्टोरेंट को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक पीड़ा के एवज में 7 हजार रुपए और वाद व्यय के रूप में 3 हजार रुपए, कुल 10 हजार रुपए का प्रतिकर दो माह की अवधि के भीतर अदा करे। यदि निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया गया, तो पूरी राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज देय होगा। बता दें कि यह फैसला जुलाई माह में आयोग की बैंच क्रमांक दो ने सुनाया है।
यह है मामला

भोपाल के महामाई बाग क्षेत्र निवासी जितेन्द्र वर्मा ने आयोग में दायर परिवाद में बताया कि ‘बापू की कुटिया’ द्वारा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नवंबर 2021 में एक डिस्काउंट स्कीम चलाई गई थी। इसके अंतर्गत रेस्टोरेंट ने 1,700 रुपए की राशि लेकर एक वर्ष की सदस्यता और आकर्षक डिस्काउंट कूपन देने का दावा किया था। इस ऑफर पर भरोसा करते हुए वर्मा ने 17 नवंबर 2021 को 1,700 रुपए नकद भुगतान कर सदस्यता प्राप्त की। रेस्टोरेंट की ओर से उन्हें मेंबरशिप कार्ड और कई डिस्काउंट कूपन भी दिए गए।
12 दिसंबर 2021 को जब वर्मा अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट पहुंचे और भोजन के उपरांत बिल भुगतान करते समय डिस्काउंट कूपन का लाभ लेना चाहा, तो रेस्टोरेंट प्रबंधन ने उन्हें सूचित किया कि स्कीम तो जुलाई 2021 में ही बंद हो चुकी है। सदस्यता के तहत दिए गए कूपन और कार्ड वापस ले लिए गए और किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी गई। इस घटना से आहत होकर वर्मा ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया और इसे अनुचित व्यापार व्यवहार बताते हुए क्षतिपूर्ति की मांग की।
रेस्टोरेंट का पक्ष
बापू की कुटिया’ प्रबंधन की ओर से रखे गए पक्ष में कहा गया कि सदस्यता और कूपन संबंधित स्कीम एक सीमित अवधि के लिए थी और इसे जुलाई 2021 में ही बंद कर दिया गया था। उनका कहना था कि स्कीम के समापन की सूचना सभी उपभोक्ताओं को दे दी गई थी। उन्होंने आरोप खारिज करते हुए दावा किया कि उन्होंने कोई अनुचित व्यापार नहीं किया और न ही सेवा में कोई कमी रही।
आयोग ने रेस्टोरेंट को ठहराया दोषी
मामले की सुनवाई करते हुए आयोग की तीन सदस्यीय पीठ दृ अध्यक्ष गिरिबाला सिंह, सदस्य अंजुम फिरोज और प्रीति मुद्गल दृ ने दस्तावेजों और दोनों पक्षों के शपथ पत्रों का विस्तार से परीक्षण किया। आयोग ने पाया कि वर्मा को जिस दिन सदस्यता दी गई (17 नवंबर 2021), उस समय रेस्टोरेंट की स्कीम पहले ही जुलाई 2021 में समाप्त की जा चुकी थी। इसके बावजूद रेस्टोरेंट ने न केवल उनसे शुल्क वसूला, बल्कि उन्हें कूपन और कार्ड भी दिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रेस्टोरेंट द्वारा उपभोक्ता को भ्रमित किया गया।
आयोग का फैसला
आयोग ने ‘बापू की कुटिया’ को आदेशित किया कि वह
7,000 रुपए मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के मद में दो माह के भीतर अदा करे,
3,000 रुपए मुकदमा व्यय के रूप में दे,
यदि यह राशि समय सीमा में नहीं दी जाती, तो उस पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लागू होगा।