बारिश में पानी सेवन करने से पहले पीएचइ की प्रयोगशाला में कराएं जांच

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सीहोर / बारिश की दस्तक के साथ ही जमीन के जलस्तर में हुई मामूली बढ़त से ही पानी में टर्बिडिटी की समस्या काफी बढ़ गई है। यदि बिना उपचार किए इसका सेवन किया तो यह शरीर में कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए जलस्त्रोत (हैंडपंप, ट्यूबवेल) आदि दूषित टर्बिडिटी युक्त पानी उगल रहे हैं तो उसकी पीएचइ की प्रयोगशाला में जांच जरूर कराएं। जांच के बाद जो उपचार बताया जाए वह करे, उसके बाद पीने के उपयोग में ले। जिससे कि कोई परेशानी उत्पन्न नहीं हो।
पानी में टर्बिटिडी की मात्रा पांच एनटीयू (निफेलो टर्बिडिटी यूनिट) या उसके कम होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में बारिश के मौसम में जून महीने में ही इसकी मात्रा 10 एनटीयू तक पहुंच गई है। इससे समझ सकते हैं कि पानी में टर्बिडिटी की मात्रा 10 एनटीयू होना यानी की सीधे बीमारी का घर है। इस पानी के पीने से पेट से जुड़ी अनके बीमारी हो सकती है। इसलिए सबसे पहले पीएचइ की लैब में पानी की जांच कराए। जांच में यदि टर्बिडिटी ज्यादा निकलती है तो पानी को छानकर पीए या फिर शुद्ध करने क्लोरिन, फिटकरी आदि भी डाल सकते हैं। वही अन्य कोई दिक्कत आ रही है तो पीएचइ के लैब स्टाफ से संपर्क कर उचित सलाह ले सकते हैं।
पीएचइ के अनुसार पानी में 14 तत्व रहते हैं। इनमें पीएच, टर्बिडिटी, टीडीएस, केल्शियम, मैगनेशियम, एलकिनिकी, क्लोराइड, फ्लोराइड, सल्फेट, आयरन, नाइट्रोजन आदि तत्व शामिल है। इन तत्वों में से किसी एक तत्व की भी कमी रहती है तो उससे पीने के दौरान नुकसान होने की अशंका रहती है। इसका कई बार लोगों को पता तक नहीं चलता है। इसलिए जरूरी है कि पानी की जांच कराकर समय पर उपचार कराया जाए।

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