Drnewsindia.com /भोपाल, 27 अक्टूबर।
उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ मेले की तैयारियों के बीच किसानों में नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार द्वारा लाया गया लैंड पुलिंग कानून (सिंहस्थ नगर विकास योजना मास्टर प्लान) अब किसानों के विरोध का केंद्र बन गया है। हाल ही में बगैर किसानों की सहमति के सिंहस्थ मेला क्षेत्र की भूमि के गजट नोटिफिकेशन जारी होने पर किसानों का आक्रोश फूट पड़ा है।
किसान अब इस कानून को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
किसान संघ की दो टूक: सरकार स्पष्ट करे अपनी स्थिति
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि
“सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले। संवाद और वार्ता का यह अंतिम दौर है। यदि अब भी सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की, तो किसान संघ आंदोलन का अगला कदम घोषित करेगा।”
उन्होंने कहा कि किसान संघ की यह मांग है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं इस पखवाड़े में यह स्पष्ट करें कि सरकार लैंड पुलिंग कानून को वापस लेगी या नहीं, और सिंहस्थ मेला क्षेत्र की कृषि भूमि पर स्थाई निर्माण की अनुमति किसी को भी नहीं देगी।
केंद्रीय स्तर पर भी किसान संघ का रुख स्पष्ट
किसान संघ के केंद्रीय अधिकारी व अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र पहले ही उज्जैन आकर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार को यह कानून तुरंत निरस्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि यदि सरकार या प्रशासन की वजह से सिंहस्थ मेला क्षेत्र के विकास कार्यों में देरी या श्रद्धालुओं को असुविधा होती है, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
तीनों प्रांतों में जनजागरण पूरा, आंदोलन की तैयारी अंतिम चरण में
प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने बताया कि लैंड पुलिंग कानून के विरोध में प्रदेश के तीनों प्रांतों में जनजागरण अभियान पूरा किया जा चुका है।
“अब संगठनात्मक तैयारी पूरी है। मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया के बाद भारतीय किसान संघ अपने आंदोलनात्मक कार्यक्रम की घोषणा करेगा,” उन्होंने कहा।
उज्जैन में किसान संघर्ष समिति भी मैदान में
उज्जैन में किसान संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे किसानों ने भी भारतीय किसान संघ को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है।
उन्होंने कहा कि किसान संघ जो भी निर्णय लेगा, उज्जैन का हर किसान तन, मन और धन से साथ रहेगा।
प्रदेश में किसान संघ की ताकत बड़ी चुनौती
मध्यप्रदेश में भारतीय किसान संघ की पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है।
संघ के प्रदेश में तीनों प्रांतों में करीब 15 लाख से अधिक सक्रिय सदस्य हैं और 12 हजार गांवों में ग्राम समितियां कार्यरत हैं।
किसान संघ के आह्वान पर बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर उतर सकते हैं, जिससे सरकार के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
राहुल धूत
प्रांत प्रचार प्रमुख, मध्यभारत प्रांत — भारतीय किसान संघ




