नई दिल्ली/वॉशिंगटन डीसी /dr news india
भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित ट्रेड डील जल्द अंतिम रूप ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को घटाकर 15% किए जाने की संभावना है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में समझौते को लेकर तेज बातचीत चल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत अमेरिका से नॉन-जीएम (गैर-जेनेटिकली मॉडिफाइड) मक्का, सोयामील और एथेनॉल की खरीद बढ़ा सकता है। इसके बदले में अमेरिका भारत के कुछ उत्पादों पर शुल्क में कमी करने को तैयार है। इस डील से 85 हजार करोड़ रुपए का भारतीय निर्यात, जो टैरिफ के चलते प्रभावित हुआ था, दोबारा रफ्तार पकड़ सकता है।
🇮🇳 भारत का दृष्टिकोण: किसानों के हितों से समझौता नहीं
भारत का रुख साफ है कि घरेलू कृषि क्षेत्र और किसानों के हित प्रभावित नहीं होंगे। देश में तेजी से बढ़ रही पोल्ट्री, डेयरी और एथेनॉल इंडस्ट्री के चलते अमेरिका से आयातित उत्पादों की खपत की संभावना है। भारत फिलहाल सालाना लगभग 5 लाख टन मक्का अमेरिका से आयात करता है, जिसे बढ़ाया जा सकता है।
🇺🇸 अमेरिका का दबाव: प्रीमियम चीज (पनीर) के लिए बाजार खोले भारत
अमेरिका, भारत में अपने प्रीमियम चीज (पनीर) को बेचने की अनुमति चाहता है, लेकिन भारतीय पक्ष ने अभी इस पर सहमति नहीं दी है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि नॉन-जीएम मक्का पर मौजूदा 15% टैक्स को कम नहीं किया जाएगा।
⚖️ पृष्ठभूमि: ट्रम्प प्रशासन के दांव और ‘ईगो फैक्टर’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अप्रैल में भारत पर 25% टैरिफ लगाया था और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% पेनल्टी लगाकर कुल टैरिफ को 50% तक पहुंचा दिया था।
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल के अनुसार, “भारत अपने घरेलू हितों पर समझौता नहीं करेगा, लेकिन अमेरिका को एक अहम ट्रेड पार्टनर के रूप में देखता है। दिक्कत ट्रम्प की व्यक्तिगत राजनीति और दबाव की रणनीति से बढ़ रही है।”
📊 व्यापारिक लक्ष्य: 2030 तक 500 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार
दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है।
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान भारत का अमेरिका को निर्यात 21.6% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर, जबकि आयात 12.3% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा। अमेरिका अब भी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है।
🔹 संभावित असर
यदि यह ट्रेड डील सफल होती है, तो इससे भारत को अमेरिकी बाजार में शुल्क राहत मिलेगी, निर्यात बढ़ेगा और अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत में नए अवसर खुलेंगे। यह डील दोनों देशों के लिए रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने का काम कर सकती है।



