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भोपाल, नरियलखेड़ा। “मेहनत और सपनों का संगम हो तो किसी झोपड़ी में भी रोशनी जगमगा सकती है।” यह बात 11 वर्षीय जानवी पुरसवानी ने राष्ट्रीय टेलीविजन के मंच ‘कौन बनेगा करोड़पति (किड्स)’ पर बैठकर कर दिखाई — और साथ में जीते ₹5,00,000। सीमित संसाधनों वाले परिवार से आने वाली जानवी ने अपने हाज़िरजवाबी अंदाज़, आत्मविश्वास और तेज़ दिमाग़ से श्रोताओं और जजों का दिल जीत लिया।
अमिताभ बच्चन के साथ हुए संवाद में जानवी की मासूमियत ही नहीं, उसकी सरल बुद्धिमत्ता भी झलकी। जब उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में अमिताभ जी से कहा कि टीवी पर वे और भी अच्छे दिखते हैं और “वीडियो में फिल्टर” लगा हुआ लगता है, तो स्टूडियो में हँसी का माहौल बन गया। अमिताभ बच्चन ने प्यार से उत्तर दिया — “देवी जी, हमें माफ कर दीजिए”— और फिर जानवी को सहजता से प्रोत्साहित किया।
पृष्ठभूमि — संघर्ष और सपने
जानवी का परिवार आर्थिक रूप से सीमित है। उनके पिता चेतन पुरसवानी ट्रेन में साबुन, टूथपेस्ट और ब्रश जैसे सामान बेचकर घर चलाते हैं — और पैर के दिव्यांग होने के कारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है। मां मीना अगरबत्ती फैक्ट्री में डीपिंग का काम करती हैं और दैनिक मजदूरी लगभग ₹200–250 है। परिवार किराए के दो कमरों में रहता है; मासिक किराया ₹3,000 और अन्य घरेलू खर्चे जोड़ें तो हालत स्पष्ट हो जाती है।
फिर भी पढ़ाई में जानवी हमेशा अव्वल रही है। पिता बताते हैं कि जानवी बचपन से ही होनहार रही है — वे खुद 11वीं तक पढ़े हैं और घर पर बेटियों की पढ़ाई में आज भी सहयोग करते हैं। जानवी अब डॉक्टर बनना चाहती है — और गरीबी में फँसे लोगों का मुफ्त इलाज करने का सपना देखती है, क्योंकि उनके पिता का चिकित्सा खर्च ठीक से पूरा नहीं हो पाया।

तैयारी और सपोर्ट सिस्टम
जानवी की काबिलियत का श्रेय सिर्फ पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं है — उनके स्कूल टीचर और मित्र भी उनके साथ रहे। जानवी सरस्वती विद्या मंदिर, दीनदयाल कॉलोनी की कक्षा पाँच की छात्रा हैं। उनकी क्लास टीचर किरण अग्रवाल बताती हैं कि जानवी अनुशासित, संस्कारी और आत्मविश्वासी है। जब कभी डांट पड़ती है, तो बाद में वह विनम्रता से माफी मांग आती है — और उसका आत्मविश्वास इतना मजबूत है कि टीचर भी उससे प्रेरणा लेते हैं।

किरण के बेटे अनमोल अग्रवाल ने जानवी को ऑनलाइन कोचिंग दी। वे बताते हैं कि हर रात करीब सवा घंटे की ऑनलाइन क्लास होती थी — इतिहास और जनरल नॉलेज पर खास ध्यान दिया गया। “फास्ट फिंगर फर्स्ट” राउंड के लिए स्पीड और कॉन्फिडेंस दोनों की प्रैक्टिस कराई गई, और जानवी ने 90 सेकेंड में 10 सवाल सही देकर सबको चौंका दिया — यही तैयारी उसके जीत का बड़ा कारण रही।
कार्यक्रम की मुख्य घटनाएँ
जानवी ने शो में ‘सुपर संदूक’ राउंड तक खेलते हुए, तेज़ी और सही उत्तरों से दर्शकों को प्रभावित किया। एक पल ऐसे भी आए जब उन्होंने गलती से कहा कि किसी शासक का जन्म “30वीं सदी” में हुआ — उन्होंने रजिया सुल्तान कह दिया जबकि सही उत्तर रानी अहिल्याबाई बाई था। लेकिन उनकी स्पष्ट बुद्धि और प्रदर्शन पर अमिताभ बच्चन ने कहा, “देवी जी, आप कुछ नहीं खोएंगी,” और अंततः जानवी पाँच लाख रुपए जीतकर लौटीं।

स्कूल व समुदाय की प्रतिक्रिया
स्कूल प्राचार्य दिनेश सिंह राठौर कहते हैं — “जानवी एक सामान्य परिवार की बच्ची है, पर असाधारण हिम्मत और आत्मविश्वास की मिसाल है। जब केबीसी टीम ने ऑडिशन लिया था, तभी मालूम हो गया था कि जानवी कुछ अलग है। हम सबको उस पर गर्व है कि इसने राष्ट्रीय मंच पर मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया।”
भीतरी समुदाय और भोपाल की कई शिक्षिकाएँ — विशेषकर डॉ. ऊषा खरे — जिन्होंने पहले भी केबीसी के साथ जुड़कर समाज में योगदान दिया है, ने जानवी और उसके परिवार का स्वागत किया और उनका सम्मान किया। डॉ. ऊषा ने कहा कि जानवी ने न केवल भोपाल बल्कि पूरे मध्यप्रदेश का नाम ऊँचा किया है।
परिवार की भावनाएँ और भविष्य की योजनाएँ
परिवार के लिए यह घटना भावनात्मक रही — जानवी के चयन की खबर आते ही पिता की आंखों से आँसू निकल आए। मां मीना कहती हैं कि तीन साल से पापा उसका रजिस्ट्रेशन करवा रहे थे, हर बार दिक़्क़त आ जाती थी — इस बार जब चुना गया तो खुशी में वे अतहर्षित हुए। जानवी के परिवार और स्कूल का सपना है कि वह डॉक्टर बनकर उन लोगों का मुफ्त इलाज करे जिनके पास इलाज के पैसे नहीं होते — और जानवी ने खुद भी वही लक्ष्य घोषित किया है।
निचोड़
एक छोटी-सी झोपड़ी, सीमित साधन, लेकिन बड़ा सपना — जानवी की कहानी यही सिखाती है कि अगर दृढ़ इच्छा, परिवार का स्नेह और सही मार्गदर्शन मिल जाए तो बच्चे किसी भी मंच पर चमक सकते हैं। जानवी ने न केवल पाँच लाख रुपए जीते, बल्कि उम्मीद और प्रेरणा भी जीती — और यह संदेश दिया कि प्रतिभा और मेहनत कभी किसी वर्ग या संपत्ति पर निर्भर नहीं करती



