भोपाल / राजधानी भोपाल में इस बार गणेशोत्सव खास आध्यात्मिक रंगों से सराबोर है। लालघाटी स्थित राजा गणेश उत्सव समिति ने इस वर्ष श्रद्धालुओं को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम का दिव्य अनुभव कराने का प्रयास किया है। कोलकाता से आए कलाकारों ने एक महीने की अथक मेहनत के बाद केदारनाथ धाम की भव्य झांकी तैयार की है। रोजाना हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंच रहे हैं और ऐसा महसूस कर रहे हैं जैसे वे सचमुच उत्तराखंड की कठिन यात्रा पर निकल पड़े हों।

कोलकाता के कलाकारों की अनोखी कला एक महीने में तैयार हुई झांकी
झांकी का सबसे बड़ा आकर्षण इसका जीवंत स्वरूप है। बंगाल से आए अनुभवी कलाकारों की टीम ने करीब 30 दिनों तक दिन-रात काम करके इसे तैयार किया। गुजरात से विशेष कपड़ा मंगाया गया और झांकी की बनावट में आधुनिक तकनीक और पारंपरिक कला का मिश्रण देखने को मिलता है।
कारीगरों ने मंदिर परिसर, नंदी और ज्योतिर्लिंग को इस तरह सजाया कि श्रद्धालु खुद को वास्तविक केदारनाथ धाम में अनुभव करते हैं। समिति प्रमुख विनोद यादव ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान कई चुनौतियां आईं, लेकिन कलाकारों की मेहनत और समर्पण से यह कृति समय पर पूरी हो सकी।

भोपाल में गणेशोत्सव पर विराजे बप्पा, भक्तों को दे रहे आशीर्वाद।
राजधानीवासियों में उत्साह, रोजाना हजारों कर रहे दर्शन
झांकी शुरू होने के पहले ही दिन से लोगों का उत्साह देखने लायक रहा। शाम होते ही लालघाटी क्षेत्र में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। शहरभर से परिवार अपने बच्चों और बुजुर्गों के साथ यहां आ रहे हैं।
एक श्रद्धालु ने कहा—
“ऐसा लग रहा है जैसे भोपाल में बैठकर ही केदारनाथ धाम की यात्रा पूरी कर ली हो।”

स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस बार का गणेशोत्सव राजधानी में एक अलग ही रंग लेकर आया है, जिसने लोगों को अध्यात्म से गहराई से जोड़ा है।
5 से 6 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ दिव्य स्वरूप
झांकी तैयार करने में लगभग 5 से 6 लाख रुपए की लागत आई है। समिति ने बताया कि हर साल उनका प्रयास यही रहता है कि किसी प्रसिद्ध तीर्थस्थल का दिव्य स्वरूप भोपाल में उतारकर यहां के भक्तों को दिखाया जाए।
समिति प्रमुख यादव ने कहा—
“देशभर के लाखों लोग कठिन पर्वतीय यात्राओं के कारण केदारनाथ नहीं पहुंच पाते। ऐसे भक्तों को राजधानी में ही उसी भव्यता का अनुभव मिल सके, यही हमारा उद्देश्य है।”

भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गूंजा लालघाटी क्षेत्र
सिर्फ झांकी ही नहीं, बल्कि हर शाम यहां धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हो रहे हैं। भजन-कीर्तन की गूंज श्रद्धालुओं को और अधिक भक्तिभाव से भर देती है। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ बाहर से आए कलाकार भी भाग ले रहे हैं।
इन आयोजनों के कारण यहां का माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक रंगों से जगमगा रहा है।
समिति का उद्देश्य: दूर बैठे भक्तों को नजदीक लाना केदारनाथ धाम
समिति हर साल अलग-अलग थीम पर झांकी सजाती है। इस बार केदारनाथ धाम का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि यह देश के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
समिति का कहना है कि उनकी कोशिश यही रहती है कि जिन लोगों को लंबी और कठिन यात्रा करने का अवसर नहीं मिलता, वे भी राजधानी में रहकर उस पवित्र धाम की अनुभूति कर सकें।
परिवारों का कहना— भोपाल में पहली बार मिला ऐसा दिव्य अनुभव
भक्तों का कहना है कि भोपाल में इतनी जीवंत और भव्य झांकी पहली बार देखने को मिली है। बच्चे जहां उत्साह से मंदिर परिसर की झलकियां देख रहे हैं, वहीं बुजुर्ग भाव-विभोर होकर भजन-कीर्तन में शामिल हो रहे हैं।
लोग इसे गणेशोत्सव के इतिहास की सबसे खास झांकी बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इसकी तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे भोपाल ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग यहां पहुंचने लगे हैं।