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भोपाल / देश का दूसरा सबसे साफ शहर बनने का तमगा जीतने के बावजूद, भोपाल नगर निगम का अपना कार्यालय गंदगी से भरा हुआ है। दफ्तर के कोने और दीवारें तंबाकू और गुटखे की पीक से बेरंग हो चुकी हैं। रोजाना हजारों लोग अपने कामों के लिए यहां आते हैं, लेकिन शौचालयों की हालत देखकर मुंह फेर लेते हैं।
जहां से शहर की योजना, वहीं गंदगी
भोपाल ने हाल ही में स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में 12,500 में से 12,067 अंक हासिल कर देश का दूसरा सबसे साफ शहर बनने का गौरव प्राप्त किया। 17 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महापौर मालती राय और निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण को सम्मानित किया। जश्न के मौके पर लड्डू भी बांटे गए।
लेकिन जिस निगम के दफ्तर ने यह उपलब्धि दिलाई, वही कार्यालय गंदगी और अव्यवस्था का शिकार है। लोग सवाल करते हैं कि अगर निगम अपने घर को साफ नहीं रख सकता, तो पूरे शहर की सफाई का भरोसा कैसे देगा।
निगम कार्यालय की गंदगी पर लोगों की नाराजगी
दफ्तर में रोजाना लगभग 1000 लोग अपने कामों के लिए आते हैं। उनका कहना है,
“बाथरूम की हालत इतनी खराब है कि महिलाएं और बच्चे मजबूरी में भी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। अगर निगम अपने कर्मचारियों के लिए जवाबदेही तय नहीं कर पा रहा, तो शहर की व्यवस्था कैसे बनी रहेगी।”
अधिकारी का बयान
एमआईसी मेंबर आरके सिंह बघेल ने कहा कि निगम के अधिकारी और कर्मचारी लगातार स्वच्छता को लेकर काम कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि यदि कहीं पर कोई कमी है, तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा और जल्द ही सुधार किया जाएगा।
हालांकि, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, वैज्ञानिक प्रोसेसिंग प्लांट, 143 पब्लिक टॉयलेट और कचरा कैफे जैसे प्रयासों के बावजूद, निगम कार्यालय की गंदगी यह दर्शाती है कि जवाबदेही और जागरूकता की कमी अभी भी मौजूद है।




