Drnewsinsdia.com/भोपाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हरित ऊर्जा आज की आवश्यकता है। निजी भागीदारी से मध्यप्रदेश को हरित ऊर्जा का हब बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से रिलायंस ग्रीन एनर्जी कंपनी द्वारा भोपाल, इंदौर और सतना में स्थापित तीन कम्प्रेस्ड बायो गैस (CBG) प्लांट्स का शुभारंभ किया।
“हरित ऊर्जा, स्वच्छ भविष्य — मध्यप्रदेश बनेगा ग्रीन एनर्जी का हब।”
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट्स न केवल कचरे को ऊर्जा में बदलने का माध्यम हैं, बल्कि पराली जलाने जैसी घटनाओं को भी कम करते हैं। यह स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रिलायंस ग्रीन एनर्जी कंपनी द्वारा भोपाल, इंदौर और सतना में बने तीन कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्रों का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह संयंत्र साझेदारी और प्रगति का प्रतीक हैं, जो प्रदेश को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाएंगे।
“कचरे से कंचन” — ऊर्जा उत्पादन का नया अध्याय
मुख्यमंत्री ने कहा कि कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट्स मध्यप्रदेश में पराली जलाने जैसी घटनाओं को कम करेंगे। ये संयंत्र कृषि अपशिष्ट को ऊर्जा में बदलते हैं, जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी
- तीन नवनिर्मित संयंत्र: भोपाल, इंदौर और सतना।
- कुल निवेश: ₹700 करोड़ रुपये।
- संयुक्त उत्पादन क्षमता: 45,000 टन प्रति वर्ष।
- कार्बन डाइऑक्साइड में कमी: लगभग 17,000 टन प्रति वर्ष।
भोपाल बना “वेस्ट-टू-वेल्थ” का सेंटर
मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल के आदमपुर छावनी में स्थापित राज्य का सबसे बड़ा सीबीजी प्लांट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “वेस्ट टू वेल्थ” और “एनर्जी फ्रॉम वेस्ट” के विज़न को साकार करता है। यह प्लांट केवल औद्योगिक परियोजना नहीं, बल्कि “हरित क्रांति 2.0” की शुरुआत है।
भोपाल संयंत्र की विशेषताएँ:
- लागत: ₹130 करोड़ रुपये।
- क्षेत्रफल: 20 एकड़ भूमि।
- उत्पादन क्षमता: 22.5 टन बायोगैस प्रतिदिन।
- कच्चा माल: 260 टन कृषि अवशेष (पराली व नेपियर घास)।
- रोजगार सृजन: 250+ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार।
यह गैस बायो-CNG के रूप में वाहनों, घरेलू व औद्योगिक उपयोग में लाई जाएगी, जिससे करीब 2000 वाहनों को ईंधन उपलब्ध होगा।
: स्वच्छ ऊर्जा का मॉडल
यह संयंत्र Zero Liquid Discharge तकनीक पर आधारित है और प्रदूषण नियंत्रण की White Category में शामिल है। इसमें Anaerobic Digestion Technology का उपयोग किया गया है, जिसे भारत की GPS Renewables और जर्मनी की Snow Leopard Projects ने विकसित किया है।
किसानों को होगा लाभ:
- प्रतिदिन 90 टन “Fermented Organic Manure” का उत्पादन।
- रासायनिक खादों पर निर्भरता घटेगी।
- मिट्टी की गुणवत्ता और फसलों की उपज में सुधार होगा।
प्रदेश में हरित ऊर्जा का विस्तार
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने प्रदेश के विभिन्न जिलों — भोपाल, इंदौर, सतना, जबलपुर, बालाघाट और सीहोर — में कुल 6 सीबीजी संयंत्र स्थापित या निर्माणाधीन रखे हैं। पहले चरण में 100 संयंत्रों की स्थापना की योजना है, प्रत्येक में लगभग ₹120 करोड़ का निवेश किया जाएगा। भविष्य में कंपनी 500 से अधिक कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्र लगाने की योजना बना रही है।
“हम मध्यप्रदेश में भविष्य की ऊर्जा तैयार कर रहे हैं। यह हरित क्रांति 2.0 की शुरुआत है, जो हमारे किसानों, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।”
— मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी
मुख्यमंत्री निवास से आयोजित वर्चुअल उद्घाटन समारोह में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव श्री अशोक वर्णवाल, श्री नीरज मंडलोई, श्री मनु श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव श्री राघवेन्द्र कुमार सिंह, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक सिंह, आयुक्त जनसम्पर्क श्री दीपक कुमार सक्सेना, रिलायंस कम्पनी के श्री अंसारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।




