मध्य प्रदेश में माननीयों की बल्ले-बल्ले:

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Drnews/भोपाल।
मध्य प्रदेश के विधायकों की सैलरी और भत्तों में बढ़ोतरी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति की सिफारिशों के आधार पर विधायकों का वेतन 45% तक बढ़ाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को भेजा गया है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो एमपी के विधायकों की मासिक सैलरी 1.60 लाख रुपए तक पहुंच जाएगी, जो फिलहाल 1.42 लाख रुपए पाने वाले पड़ोसी राज्य राजस्थान के विधायकों से भी अधिक होगी।

पूर्व विधायकों की पेंशन भी बढ़ेगी

इस प्रस्ताव में सिर्फ वर्तमान विधायकों की सैलरी ही नहीं बल्कि पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाने की सिफारिश भी की गई है। हालांकि पेंशन की बढ़ोतरी का सटीक आंकड़ा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से यह प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया है। अब इस पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति अंतिम निर्णय लेगी। इस समिति में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के एक-एक वरिष्ठ विधायक शामिल होंगे।

लंबे समय से चल रही मांग

विधायकों द्वारा लंबे समय से वेतन, भत्तों और विधायक निधि में बढ़ोतरी की मांग उठाई जा रही थी। रीवा की गुढ़ सीट से विधायक नागेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने सभी पक्षों पर विचार कर यह सिफारिश दी है। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भी कई विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया था और सरकार से जल्द निर्णय लेने की अपील की थी।

बीजेपी और कांग्रेस दोनों सहमत

इस मामले पर दिलचस्प बात यह है कि सत्ता और विपक्ष दोनों एक ही सुर में हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के विधायकों ने सिफारिशों को जल्द लागू करने की मांग की है। फिलहाल मध्य प्रदेश के विधायकों को वेतन के साथ-साथ निर्वाचन भत्ता, चिकित्सा भत्ता, निजी सचिव व अर्दली भत्ता, टेलीफोन खर्च और किताब-पत्रिकाओं के लिए भी राशि दी जाती है।

जनता की नजर

हालांकि राजनीतिक दलों में सहमति होने के बावजूद जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया अभी सामने आना बाकी है। माना जा रहा है कि अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो एमपी के विधायकों की सैलरी प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और गुजरात से भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर पहुंच जाएगी।


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