Drnewsidia.com
भोपाल: बंगाली समाज ने मानस भवन में पांच दिवसीय भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन किया। इस दौरान मंच को पंडाल की तरह सजाया गया, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक सजावट का अनोखा मिश्रण देखने को मिला।
माता दुर्गा के साथ अन्य देवताओं की पूजा
दुर्गा पूजा के अवसर पर माता दुर्गा के साथ-साथ लक्ष्मी (धन और समृद्धि), सरस्वती (ज्ञान और संगीत), गणेश (अच्छी शुरुआत), और कार्तिकेय (युद्ध के देवता) की भी पूजा की जाती है। बंगाली और उड़िया परंपरा के अनुसार इन देवताओं को दुर्गा की संतान माना जाता है। पूजा का उद्देश्य माता के बच्चों के साथ उनके जन्मस्थान की यात्रा का सम्मान करना है।
महाअष्टमी पर विशेष संधि पूजा
इस वर्ष महाअष्टमी के अवसर पर स्थापना के तीसरे दिन विशेष संधि पूजा आयोजित की गई। श्रद्धालुओं ने माता को 108 अगरबत्ती, 108 ज्योत और 108 कमल पुष्प अर्पित किए। इस पूजा में भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का भाव साफ नजर आया।
बंगाली समाज में दुर्गा पूजा का महत्व
सामान्यतः दुर्गा पूजा दस दिवसीय होती है, लेकिन बंगाली समाज में नवरात्रि के अंतिम पांच दिन मुख्य अनुष्ठानों के लिए समर्पित होते हैं। पहले पांच दिन भक्त माता की वंदना करते हैं, छठे दिन देवी आगमन का स्वागत होता है और उत्सव का उद्घाटन किया जाता है।
- सप्तमी (सातवां दिन): माता दुर्गा और संतान देवताओं की पूजा
- अष्टमी (आठवां दिन): महाअष्टमी विशेष पूजा
- नवमी (नौवां दिन): पूजा के मुख्य दिन
- दशमी (दसवां दिन): माता दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन
इस प्रकार बंगाली समाज में दुर्गा पूजा केवल उत्सव नहीं, बल्कि संस्कृति और श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है।



