विदिशा / के प्रसिद्ध जगन्नाथपुरी मानोरा धाम से आषाढ़ सुदी दूज पर मिनी जगन्नाथ रथयात्रा निकाली गई। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा फूल से सजे दो मंजिला रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकले।
मानोरा में ये परंपरा 200 सालों से चली आ रही है। इसकी शुरुआत मानोरा निवासी भक्त मानकचंद्र और उनकी पत्नी पदमावती से हुई। जगन्नाथपुरी में उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने हर साल उन्हें दर्शन देने का वचन दिया था।
‘पुरी में रथ रुकने पर कहा जाता है- भगवान मानोरा पधारे

‘ मान्यता है कि उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में जब रथयात्रा के दौरान भगवान का रथ रुकता है, तब शंकराचार्य घोषणा करते हैं कि भगवान मानोरा पधार गए हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान जगन्नाथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
मेला स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए
रथयात्रा के साथ तीन दिवसीय मेले की भी शुरुआत हुई है। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर और मेला स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अस्थायी अस्पताल, फायर ब्रिगेड और पुलिस कंट्रोल रूम की व्यवस्था की गई है। करीब 3 से 4 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार रथयात्रा के दिन यहां हर साल बारिश होती है। श्रद्धालु इसे भगवान इंद्र द्वारा जगन्नाथ स्वामी का जलाभिषेक मानते हैं।