भोपाल / मध्य प्रदेश कई क्षेत्रों में अभी भी लोग मासिक धर्म की चर्चा करने में संकोच करते हैं। अब 6वीं कक्षा से ही बच्चों को स्कूल में इसकी शिक्षा दी जाएगी। प्रदेश भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश कई क्षेत्रों में अभी भी लोग मासिक धर्म की चर्चा करने में संकोच करते हैं। अब 6वीं कक्षा से ही बच्चों को स्कूल में इसकी शिक्षा दी जाएगी। प्रदेश भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह बात 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की एमडी सीनियर आईएएस डॉ. सलोनी सिडाना ने विशेष चर्चा के दौरान कही। उन्होने अमर उजाला की टीम से मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता एवं जागरूकता के मुद्दे पर अलग-अलग सवालों का विस्तार से जवाब दिया। जानकारी के लिए बता दें कि सिडाना खुद विशेषज्ञ डॉक्टर रहीं हैं।
यह एक बायोलाजिकल प्रक्रिया
सिडाना ने कहा है कि किशोर हों या किशोरियां, उन्हें बताने की जरूरत है यह एक समान्य प्रक्रिया है। यह एक बायोलाजिकल प्रक्रिया है, इसे छिपाना नहीं है, इसे स्वीकार करना है। शर्माने या घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होने कहा कि लोगों को जागरूक करना स्वास्थ्य विभाग का यह पहला प्रयास रहता है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के सहकर्मी सहायक, परामर्शदाता किशोर-किशोरियों के लिए मित्रवत क्लिनिक में जागरूक किया जाता है। किशोर हेल्थ क्लिनिक में कोई खुद आता है या फिर हम उन तक पहुंच सकते हैं। तहत यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, चोट और हिंसा, गैर-संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य आदि पर जागरूक किया जा रहा है।
स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक
डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। स्वच्छता बनाए रखने से संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है। वजाइनल इंफेक्शन सहित कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचा जा सकता है। उन्होने बताया कि प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘पीरियड फ्रेंडली वर्ल्ड’ है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों और सामाजिक कलंक को दूर करना है।
इस विषय पर संकोच सबसे बड़ी समस्या
डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि आज के दौर में भी ऐसे अंचल हैं जहां पर मासिक धर्म और मासिक धर्म स्वच्छता पर बात करने में संकोच किया जाता है। किशोरियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, जिससे वे अच्छा महसूस नहीं कर पातीं। उन्हें लगता है ‘यह’ गलत हो रहा है। ‘दोषारोपण’, टैबू की तरह बात की जाती है।
महिलाओं के साथ पुरुषों को भी जागरूकता जरूरी
डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि मासिक धर्म के प्रति जितना जागरूक किशोरियों, युवतियों, महिलाओं को करना जरूरी है। उतना ही जरूरी किशोरों, पुरुषों को भी जागरूक करना चाहिए। अब पुरुष भी इस विषय पर जानने लग गए हैं। थियेटर में आने वाले विज्ञापन में नंदू पुरुष है, इसमें दो पुरुषों के बीच ‘मासिक धर्म’ स्वच्छता संबंधी संवाद दिखाया गया है।
एनएचएम स्कूलों के साथ उमंग मॉडयूल पर कर रहा काम
डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि एक अच्छी पहल स्वास्थ्य विभाग स्कूल शिक्षा विभाग के साथ कर रहा है। उमंग के तहत जागरूकता एवं अन्य गतिविधयां बढ़ाने वाले हैं। उमंग मॉडयूल के तहत स्कूल में ही किशोरियों और किशोरों को मासिक धर्म व स्वस्थ्य संबंधी अनेक जानकारियां दी जाएंगी। कक्षा छटवी से किशोर किशोरियों को इसमें शामिल किया जाना है।