मोहनगिरी स्थित आषाढ़ी माता महामाई मंदिर इन दिनों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना

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विदिशा / मोहनगिरी स्थित आषाढ़ी माता महामाई मंदिर इन दिनों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। बड़ी संख्या में हर दिन यहां श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे और हवन पूजन कर मां को भोग लगा रहे हैं। देवी के इस प्राचीन मंदिर में न केवल विदिशा जिला बल्कि भोपाल, सीहोर, रासयेन, झांसी अन्य जिलों से भी श्रद्धालु यहां माता केे दरबार में आते हैं।
महामाई माता मंदिर समिति के सचिव राजकुमार प्रजापति ने बताया कि मंदिर में आषाढ़ महीने में श्रद्धालुओं की तांता लगा रहता है। मंदिर की धर्मशाला में लोग दाल बाटी बनाते है और भंडारा कराते है। मंदिर में माता को प्रति वर्ष प्रसाद चढ़ाने आते है।
शहर के बड़ा बाजार से प्रसाद चढ़ाने आए सुनील नामदेव बताते है कि उनके पूर्वजों के समय से प्रसाद चढ़ाने आ रहे है। बताया जाता है कि माता का यह स्थान 300 वर्ष से अधिक पुराना है। सिंधिया रियासत के पूर्व का यह मंदिर है। पहले चबूतरा और इस पूरे क्षेत्र में जंगल था। यहां तालाब था और एक प्राचीन कुआं है। यहां बैलगाड़ी से लोग आते थे और यहां भोजन प्रसादी तैयार कर माता को भोग लगाते थे। सिंधिया रियासत के समय शहर में महामारी के दौरान लोगों के निवेदन पर स्वयं महाराज ने यहां आकर चबूतरे की पूजा की थी। इसके बाद महामारी का दौर यहां थम गया था। तभी से अषाढ़ में देवी की पूजा यहां महत्व बढा जो सतत जारी है। यहां अमावस्या से गुरु पूर्णिमा तक पूजन चलती है। समय के साथ-साथ यहां का तालाब खत्म हो चुका। यहां स्थित कुआं के पानी से चर्म रोग दूर होते थे।

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