राष्ट्रहित में आज कठोर से कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है, कवि अतुल

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आष्टा
नगर के प्रबुद्ध कवियों एवं साहित्यकारों की संस्था साहित्य शिल्पी के तत्वाधान में कवि अतुल जैन सुराणा परिवार के सौजन्य से होटल नाकोड़ा पैलेस के सभागृह में पहलगाम हमलें में दिवंगत नागरिको एवं स्व. श्री अशोक कुमार जी सुराणा को श्रृद्धाजंलि स्परूप साहित्य शिल्पी की काव्यांजलि काव्य निशा आयोजित की गई जिसमें कवियों ने इस कायरतापूर्ण हमले के प्रति आक्रोश एवं पीड़ति परिवारो के प्रति संवेदनाओ को कविताओ के माध्यम से व्यक्त करते हुये जनचेतना के लिये कलम के कर्तव्य का निर्वहन करने का प्रयास किया।
आयोजन का आरंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्लवन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ एवं दिवंगतो को पुष्पांजलि अर्पित की गई और उपस्थित सभी गणमान्य नागरिको एवं मातृ शक्तियों नें अपने इष्ट देव को याद करते हुये दो मिनिट का मौन धारण करते हुये श्रृद्धांजलि अर्पित – की फिर आयोजक सुराणा परिवार नें उपस्थित – सभी जनो के गले में तिरंगा दुपट्टा पहनाया। संचालक कवि अतुल जैन सुराणा नें कहा कि ये शोक का समय है स्वागत का नहीं और ये दुपट्टा – सभी को कर्तव्यबोध करायेगा कि राष्ट्र सर्वोपरि है यदि राष्ट्र ही नहीं होगा तो न धर्म बचेगा न हम, इसलिये राष्ट्रहित में आज कठोर से कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है।
विशेष आमंत्रण पर पधारी हुई कु. वंशिका गोस्वामी द्वारा सस्वर मां सरस्वती का आव्हान करते हुये उनकी वंदना प्रस्तुत की गई तत्पश्चात् संगीतज्ञ श्रीराम श्रीवादी द्वारा मातृ-पितृ वंदना का सुमधुर गीत प्रस्तुत करते हुये कहा गया कि ष् छांव में मां के कभी भी गम नहीं होते और सुख पिता के चरणों में भी कम नहीं होते। वीर रस के ओजस्वी हस्ताक्षर डॉ. प्रशांत जामलिया नें दुर्दात आतंकवादियो को आड़े हाथो लेते हुये कहा कि ष्गाड़ दो तिरंगा छाती में दुश्मनो की, आग है रगो में उनको तुम बता दो। अपने क्रम में गोविन्द शर्मा नें जान गंवा चुके पर्यटको का पक्ष लेते हुये जब कहा कि ष्राही थे तैनात नहीं थे,
बंदूको पर हाथ नहीं थे। तो उनकी इन पंक्तियों को सबका तालियों से समर्थन मिला। व्यापार महासंघ के अध्यक्ष रूपेश राठौर नें अपनी ओजस्वी वाणी से आतंकियो को ललकारा साथ ही साहित्यिक गतिविधियों को जारी रखने के लिये संस्था को 5100 रूपये की दानराशि देने की भी घोषणा की।

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