डीआर नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश सुनाया। कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए साफ कहा कि किसी कानून पर रोक केवल रेयर ऑफ द रेयर मामलों में ही लगाई जा सकती है। हालांकि, अदालत ने इसमें किए गए 3 संशोधनों पर रोक लगा दी।
कौन से 3 प्रावधान रोके गए
- वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति।
- वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य होना।
- वक्फ संपत्तियों के सर्वे का काम जिला कलेक्टर द्वारा कराना।
सीजेआई बी.आर. गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड में पदेन सदस्य मुस्लिम ही होने चाहिए।
सुनवाई और पक्षकार
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 5 याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल थी।
- केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन पेश हुए।
- याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नया कानून मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ है, वहीं केंद्र ने इसे पूरी तरह संवैधानिक करार दिया।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 5 अप्रैल को वक्फ संशोधन बिल, 2025 कानून बना।
- लोकसभा में यह बिल 288 मतों से पास हुआ था, जबकि 232 सांसदों ने विरोध किया।
- इसके खिलाफ कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं।
अब आगे क्या
कोर्ट ने साफ किया कि मामले की अंतिम सुनवाई तक कानून पूरी तरह लागू नहीं होगा और यथास्थिति बनी रहेगी। अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी।