शिक्षा के मंदिररू कहीं छत जर्जर, तो कहीं भवन गिरने की कगार पर, मरमत के लिए पैसा नहीं

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सीहोर / जून माह से नया शिक्षा 2025-26 शुरू हो जाएगा। नई उमीदों और नए उत्साह से बच्चे सरकारी स्कूलों में पहुंचेंगे। स्कूल भवन को देखकर उन्हें मायूसी ही होगी। वजह जिले के करीब 20 प्रतिशत स्कूल भवन जर्जर अवस्था में हैं। हर साल ऐसे भवनों का सर्वे होता, जिनकी हालत खराब है। कई भवन जर्जरं तो कई खंडहर में बदल चुके हैं। इन भवनों में प्रवेश करते समय बच्चों को डर लगता है कि कहीं कोई हिस्सा गिर न जाए। जिले में कुछ माह पहले कक्षा एक से 8 तक के 93 स्कूल के भवन जर्जर मिले थे। जिला स्तर से राज्य शिक्षा केंद्र को प्रस्ताव भेज मेंटनेंस के लिए बजट मांगा। यह बजट उमीद के अनुरूप नहीं मिला है। जितना बजट मिला उससे भी अभी मरमत नहीं हुई।
शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि सभी जर्जर स्कूलों की रिपेयरिंग कराने के लिए संबंधित स्कूल के एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) के खाते में स्टीमेट के हिसाब से कुल एक करोड़ 28 लाख रुपए की राशि जारी हो गई है। इससे जल्द काम का श्रीगणेश होगा। इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी। यदि बजट मिलने के बाद भी किसी र्प्रध्यान अध्यापक ने काम नहीं किया तो उसे दोषी मानकर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी। बीते सालों में बजट लैप्स होने जैसी स्थिति नहीं बनेगी।
आरआर उईके, डीपीसी, शिक्षा विभाग
सीहोर जिले में सरकारी स्कूलों की स्थिति
1311 प्राइमरी
676 मिडिल
122 हाईस्कूल
110 हायर सेकंडरी
93 स्कूलों के भवन जर्जर
6 स्कूल के भवन ही नहीं
जिले के तीन सरकारी स्कूल जो खोल रहे सिस्टम की पोल
शासकीय कन्या हासे स्कूल आष्टा
दर्ज विद्याथीर्रू 700, शिक्षकरू 45
कैसे हालरू आष्टा के अदालत के पास शासकीय कन्या हायर सेकंडरी स्कूल का साल 1951 में भवन बना था। समय के साथ भवन पुराना होता गया और दूसरा मरमत की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इससे कंडम हो गया है। शिक्षा सत्र चालू रहने के दौरान कमरों में कक्षाएं लगती है तो छात्राओं और उनको पढ़ाने वाले शिक्षकों की जान जोखिम में रहती है। शहरी क्षेत्र में सरकारी स्कूल भवन का ऐसा होना कई तरह के सवाल खड़े करता है।
माध्यमिक शाला दुपाड़िया
दर्ज विद्याथीर्रू 72, शिक्षकरू 05
कैसे हालरू दीवार, छत से टूटकर गिरता प्लास्टर का मटेरियल और बारिश में टपकता पानी कुछ ऐसे हालात इस स्कूल भवन के हैं। गांव में दूसरा सरकारी स्कूल नहीं होने से छात्र-छात्राओं को इसी भवन में दहशत के साए में बैठ शिक्षा ग्रहण करना पड़ती है। इस दौरान यदि भवन गिरा तो कितना बड़ा हादसा होगा समझ सकते हैं। कई बच्चे स्कूल आना उचित नहीं समझते हैं। विभाग तर्क दे रहा है कि रिपेयरिंग कराने के लिए बजट मांगा है।
प्राथमिक शाला लसूड़िया कांगर
दर्ज विद्याथीर्रू 65, शिक्षकरू 03
कैसे हालरू छत से टूटा हुआ प्लास्टर का मटेरियल और हर कही दीवारों में पड़ी दरार इस स्कूल भवन की हकीकत सभी को बता रही हैं। पालकों का कहना है कि भवन को देख शिक्षा सत्र चालू होने पर वह अपने बच्चों को स्कूल भेजना मुनासिब नहीं समझते हैं। यह हाल अब से नहीं पिछले कई साल से बने हुए हैं, फिर भी अभी तक कुछ नहीं हो पाया है। शिक्षकों ने बताया कि उनकी तरफ से इस संबंध में उच्च स्तर पर अवगत करा दिया है।
फ सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हैं उनके लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं ?
हमारी तरफ से आरएसके से मेंटनेंस के लिए बजट मांगा था। एक करोड़ 28 लाख रुपए का बजट मिल गया है। यह राशि सीधे स्कूलों के एसएमसी खाते में जारी कर दी है, जल्द कार्य शुरू होगा।
फ राशि मिल गई तो कार्य चालू होने में आखिर क्यों देरी हो रही है, कब चालू होगा?
एएस, टीएस सहित अन्य प्रक्रिया रहती है, जिनके पूरा करने के बाद ही काम प्रारंभ होता है। यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। जल्द भवनों के मरमत का कार्य चालू होगा और 30 मई तक पूरा हो जाएगा।
फ जिन स्कूलों के पास भवन नहीं है उनके लिए क्या वैकल्पिक इंतजाम किए गए ?
जिले में कक्षा एक से आठ तक के 6 स्कूलों के पास खुद का भवन नहीं है। पूर्व में भवन थे, जिनकी हालत खराब होने से खाली करा लिया है। नए नहीं बनने तक किराए के में चल रहे हैं।
फ स्कूलों के खाते में राशि पहुंच गई, फिर भी काम नहीं हुआ तो क्या किया जाएगा ?
पहली बात तो यह कि हम खुद पूरी मॉनीटरिंग कर रहे हैं, जिससे ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। यदि किसी कारणवश बनी भी तो संबंधित स्कूल के प्रधान अध्यापक को दोषी मान कार्रवाई की जाएगी।

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