शिल्पा शेट्टी पर 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का केस: EOW ने दर्ज किया बयान

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Drnewsindia.com

मुंबई: बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा पर 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोपों में इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने सख्ती से जांच शुरू कर दी है। बुधवार को EOW की टीम ने करीब साढ़े 4 घंटे तक शिल्पा शेट्टी से सवाल-जवाब किए।

शिल्पा और राज कुंद्रा के अलावा, इस मामले में कुल 5 लोगों के बयान दर्ज किए गए। पूछताछ मुंबई स्थित शिल्पा के घर में हुई। अधिकारियों ने इस दौरान सभी से पूरी लेन-देन और कंपनी से जुड़ी जानकारी ली। फिलहाल EOW उस कंपनी के ब्योरे की जांच कर रही है, जिससे शिल्पा और राज कुंद्रा जुड़े हुए थे।

राज कुंद्रा का बयान भी पहले ही दर्ज किया जा चुका है। उन्होंने बताया था कि “बेस्ट डील” को दीपक कोठारी द्वारा दी गई राशि का उपयोग प्रोफेशनल फीस के रूप में बिपाशा बसु, नेहा धूपिया और प्रोड्यूसर एकता कपूर को किया गया।


मामला क्या है?

मुंबई के बिजनेसमैन दीपक कोठारी ने अगस्त 2025 में शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा के खिलाफ 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई थी। कोठारी के अनुसार, 2015 में उनकी मुलाकात शिल्पा और राज से एजेंट राजेश आर्या के जरिए हुई। उस समय दोनों “बेस्ट डील टीवी” के डायरेक्टर थे और शिल्पा के पास कंपनी के 87% से अधिक शेयर थे।

शिकायत में कहा गया है कि एक मीटिंग में तय हुआ कि कोठारी शिल्पा और राज की कंपनी को 75 करोड़ रुपए का लोन देंगे, जिस पर 12% सालाना ब्याज तय हुआ। बाद में शिल्पा और कुंद्रा ने सुझाव दिया कि टैक्स की वजह से इसे इन्वेस्टमेंट के रूप में दिखाया जाए और हर महीने रिटर्न दिया जाएगा।

अप्रैल 2015 में दीपक कोठारी ने पहली किश्त के तौर पर लगभग 31.95 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। सितंबर 2015 में दूसरी डील के तहत जुलाई 2015 से मार्च 2016 के बीच 28.54 करोड़ रुपए और दिए। कुल राशि 60.48 करोड़ रुपए हुई, इसके अलावा 3.19 लाख रुपए स्टांप ड्यूटी भी चुकाए गए।

कोठारी का दावा है कि अप्रैल 2016 में शिल्पा ने उन्हें पर्सनल गारंटी भी दी थी, लेकिन सितंबर 2016 में उन्होंने कंपनी से डायरेक्टर का पद छोड़ दिया। इसके बाद कंपनी पर 1.28 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाने का मामला सामने आया। कोठारी ने कई बार अपनी रकम वापस मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

शुरुआत में यह मामला जुहू पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी और जालसाजी के तहत दर्ज हुआ। चूंकि रकम 10 करोड़ रुपए से अधिक थी, इसलिए जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दी गई।

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