शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान में आज किया जाएगा शिव अर्चनावैशाख पूर्णिमा पर भगवान महाकाल, भगवान विष्णु-लक्ष्मी किया जाएगा विशेष अभिषेक

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व के अंतर्गत मई माह में वैशाख पूर्णिमा पर भगवान महाकाल, भगवान विष्णु-लक्ष्मी का विशेष अभिषेक किया जाएगा। शुक्रवार को यहां पर महिला मंडल ने भजन कीर्तन किया और अब शनिवार को मासिक शिव चतुर्दशी पर शिव अर्चना की जाएगी। इस मौके पर समिति के पंडित कुणाल व्यास और मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि वैशाख माह चल रहा है और श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान शिव की अर्चना के साथ ही दस महाविद्या का विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। वैशाख माह में भगवान विष्णु-लक्ष्मी के साथ महाकाल की पूजा करने का भी पर्व है। पुराणों के मुताबिक इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-दान करने की परंपरा है। इसके बाद भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। शाम को प्रदोष काल में शिवजी के महाकाल रूप की पूजा करने का विधान है। पुराणों के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व पर श्रीकृष्ण या शालग्राम रूप में भगवान विष्णु का दूध से अभिषेक किया जाता है। साथ में देवी लक्ष्मी की पूजा भी होती है। वैशाख महीने के आखिरी दिन गंगाजल और दूध से शिवजी का अभिषेक करने से परेशानियां दूर होती हैं। इस तिथि पर सुबह-शाम शिवलिंग के पास तिल के तेल का दीपक लगाने से दोष खत्म होते हैं और बीमारियां दूर होने लगती हैं। हो सके तो पानी में पवित्र जल डालकर स्नान करें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं। अगर आप से संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से सनान कराए। इस दिन भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी मां वास होता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी जरूर शामिल करें। कमल के फूलों से महाकाल पूजा का विधान स्कंद पुराण के मुताबिक वैशाख महीने की पूर्णिमा पर शिवजी की पूजा करने से दुश्मनों पर जीत होती है और स्वर्ग मिलता है। इस पुराण के नागरखंड की कथा के मुताबिक इक्ष्वाकु कुल के राजा रुद्रसेन अपनी पत्नी पद्मावती के साथ वैशाख पूर्णिमा को महाकाल दर्शन और पूजा करते थे। पूजा में खासतौर से कमल के फूलों का इस्तेमाल करते थे। साथ ही पूरी रात जागरण भी करते थे। इससे उनका प्रभाव बढ़ने लगा और शत्रु खत्म होने लगे।

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