सर्पदंश का शिकार होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचे। झाडफूंक के चक्कर में नहीं पड़ें

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सर्पदंश का शिकार होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचे। झाडफूंक के चक्कर में नहीं पड़ें। अस्पताल पहुंचने में देरी मौत का कारण बन सकती है। अस्पताल पहुंचे सर्पदंश के पीड़ितों की रिपोर्ट और मौतों की स्थिति कुछ ऐसी ही है। पिछले दो वर्षों की स्थिति यह बताती है कि जुलाई महीने में सर्पदंश की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। बारिश की शुरुआत प्रमुख वजह बताई जा रही है। चिकित्सकों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल के अलावा स्वास्थ्य केंद्रों में इस वर्ष अब तक सर्पदंश के 95 पीड़ित पहुंचे हैं। इनमें 11 की मौत हो गई है। लगभग सभी मौतों के पीछे पीड़ितों के अस्पताल पहुंचने में देरी प्रमुख वजह है। जिला अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों तक में वर्ष 2024 में सर्पदंश के 156 पीड़ित पहुंचे थे। इनमें से 44 लोग केवल जुलाई में सर्पदंश के शिकार हुए। वर्ष 2023 की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। सर्पदंश के करीब 165 पीड़ितों में 48 केवल जुलाई महीने में अस्पताल पहुंचे हैं। चिकित्सकों के अनुसार जुलाई में तेज बारिश तेज होती है। इस कारण सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं। चिकित्सक इसके मद्देनजर इस महीने विशेष सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के सीएमओ डॉ. मोहित मांझी का कहना है कि सर्पदंश के बाद मरीजों को अस्पताल पहुंचाना चाहिए। अंधविश्वास के चलते लोग झाडफूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। इलाज में देरी मौत का कारण बन जाती है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रमोद दीवान के अनुसार सर्पदंश के बाद कई बातें महत्वपूर्ण होती हैं। मरीज के साथ क्या करें और क्या नहीं करें। इस पर लोगों को गंभीरता से अमल करना चाहिए। इससे मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सभी केंद्रों में एंटी वेनम उपलब्ध
सर्पदंश के बाद यह करें
सर्पदंश होने पर व्यक्ति को आश्वस्त करें और शांत रहें। घाव वाले अंग को स्थिर रखें, बहुत अधिक हिलाएं नहीं। सर्पदंश वाले अंग में जूते या अंगूठी हो तो निकाल दें।
पीड़ित को स्ट्रेचर या अन्य जगह बायीं करवट में लिटाएं।
दाहिना पैर मुड़ा हुआ हो और हाथ से चेहरे को सहारा दें।
पीड़ित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाएं।
ये नहीं करें
पीड़ित व्यक्ति को अत्यधिक दबाव या घबराहट नहीं होने दें।
सांप पर हमला करने या उसे मारने की कोशिश नहीं करें।
सर्पदंश वाले घाव को न काटें और न ही घाव पर दवा लगाएं।
घाव को बांध कर रक्त संचार रोकने का प्रयास भी नहीं करें।
रोगी को पीठ के बल नहीं लिटाएं। इससे वायुमार्ग प्रभावित होगा।
किसी भी स्थिति में झाड़फूंक नहीं कराएं व इलाज में देरी नहीं करें।\

सर्पदंश के केस बढ़ने की संभावना के मद्देनजर जिला अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों तक में स्नेक एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध करा दिया गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।

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