सामग्री प्रतिबंधित थी तो कंपनी को पहले बताना था

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भोपाल / बर्सिलोना स्पेन में रह रहे बेटे को दीपावली पर मां ने दुलार और आशीर्वाद स्वरूप खुद के हाथ से बनी मिठाई और सूखे मेवों से भरा पार्सल भेजा था, लेकिन वह बेटे को नहीं मिल पाया। इससे मां निराश हो गई। परिवार को भावनात्मक तौर पर ठेस पहुंचने के साथ ही फाइनेंशियली तौर पर भी नुकसान उठाना पड़ा। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, भोपाल बेंच-2 ने डीटीडीसी एक्सप्रेस लिमिटेड और फेडरल एक्सप्रेस ट्रांसपोर्टेशन एंड सप्लाई चेन सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को दोषी माना।
इधर नर्मदापुरम रोड, सुरेंद्र गार्डन निवासी, पूर्व वन बल प्रमुख व प्रधान मुय वन संरक्षक रवि श्रीवास्तव ने 16 दिसंबर 2019 को परिवाद दर्ज किया। उन्होंने बताया कि बेटा एमबीए करने स्पेन गया है। दिवाली के मौके पर बेटे को पांच किलोग्राम का पार्सल भेजा था। इसमें मां के हाथ की बनी मिठाई और खाद्य सामग्री थी जिनकी कीमत 4 हजार रुपए थी। पार्सल डीटीडीसी के भोपाल कार्यालय (10 नंबर मार्केट) से बुक हुआ, जहां उनके कर्मचारियों ने पैकिंग की। 2 नवंबर 2019 तक डिलीवरी नहीं हुई तो जानकारी मांगी। बाद में पता चला कि पार्सल वापस लौट आया है। अगर सामान प्रतिबंधित था, तो बुकिंग के समय बता देना चाहिए था। कई बार आवेदन दिया, कोई रिस्पॉन्स नहीं आया।

आयोग ने पाया कि स्पेन में खानपान सामग्री पर प्रतिबंध के बावजूद डीटीडीसी के कर्मचारियों ने भोपाल में पार्सल पैक किया और फिर डिलीवरी नहीं कर पाए। दोनों कंपनियों से 7,750 रुपए (7 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित), शारीरिक-मानसिक क्षति के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के रूप में 5 हजार कुल मिलाकर करीब 21 हजार अदा करने का आदेश दिया है। यह फैसला आयोग की बेंच क्रमांक 2 की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह व सदस्य प्रीति मुद्गल ने सुनाया।

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