सीहोर के गांव जल संकट की चपेट में

0
31

सीहोर जिले के ग्रामीण इलाकों में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। इछावर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम दूधलाई और झरखेड़ा में हालात ऐसे हैं मानो यह 21वीं सदी का भारत नहीं, किसी भयंकर सूखे से ग्रस्त पिछड़ा इलाका हो। सरकारी रिकॉर्ड भले ही “हर घर नल” योजना की सफलता के गीत गा रहे हों, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर है।

दूधलाई में हेडपंप की बदहाली

ग्राम दूधलाई में दर्जनों हेडपंप दस्तावेजों में चालू हैं, लेकिन असल में सिर्फ एक हेडपंप ही लोगों की प्यास बुझा रहा है, वो भी अब जवाब देने की कगार पर है। उस एकमात्र हेडपंप से पानी निकालने में घंटों की मशक्कत और लंबी कतारें लगती हैं। कई ग्रामीण तो बैलगाड़ियों से कई किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं। छात्र-छात्राएं पढ़ाई छोड़ पानी की जंग लड़ रहे हैं।

झरखेड़ा में जान जोखिम में डालकर पानी भरना

वहीं दूसरी ओर झरखेड़ा गांव में लोग पानी भरने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। ग्रामीण महिलाएं 2 किलोमीटर दूर एक कच्चे, गहरे कुएं में उतरकर पानी भरती हैं, जो कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है। उस कुएं से पानी निकालने के लिए चार-पांच लोगों की मेहनत लगती है, पूरा परिवार पानी की लड़ाई में जुट जाता है।

विभाग की उपलब्धियों की पोल खुली

जब जल निगम और पीएचई विभाग से सवाल किए गए तो एक्सिक्यूटिव इंजीनियर पी.के. सक्सेना ने उपलब्धियों की किताब खोल दी, और विभाग की कई उपलब्धियां गिना दीं लेकिन हकीकत में लोगों के घरों में पानी की एक बूंद नहीं।

कलेक्टर का आश्वासन

सीहोर कलेक्टर बाला गुरु ने कहा कि अगले साल तक दोनों गांवों में जल व्यवस्था सुधर जाएगी। पर सवाल यह है – क्या लोग अगले साल तक प्यासे रहेंगे? सरकारी योजनाएं सिर्फ कागज़ों में, ज़मीन पर जीरो। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद पानी की योजनाएं सिर्फ सरकारी कागज़ों में सीमित रह गई हैं।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन तो दूर, जनप्रतिनिधि भी चुनाव के बाद मुंह फेर लेते हैं। अधिकतर हेडपंप यहां खराब पड़े हुए हैं जो कि सालों से रिपेयर नहीं हुए हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी समस्या का समाधान किया जाए और उन्हें पानी मुहैया कराया जाए।

क्या है समाधान?

अब देखना यह है कि प्रशासन और विभाग की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं और कब तक ग्रामीणों को पानी की समस्या से निजात मिलती है। क्या सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू होंगी और लोगों को पानी मिलेगा या फिर यह समस्या यूं ही बनी रहेगी? समय ही बताएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here