सीहोर में डोल ग्यारस का उत्सव: भगवान के विमान पर फूल बरसे, हाथी-घोड़ा पालकी के जयकारों से गूंजा शहर और गांव

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निपानिया कला

Drnewsindia.com/सीहोर।
सीहोर में डोल ग्यारस पर्व बुधवार को धार्मिक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। शहरभर के मंदिरों से भगवान के विमान निकले, जिनमें सजी-धजी झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। शोभायात्रा के दौरान मार्ग में जगह-जगह भक्तों ने विमान का पूजन-अर्चन किया और पुष्प वर्षा से स्वागत किया।

भव्य शोभायात्रा में उमड़ा जनसमूह

मंडी क्षेत्र के बड़ा मंदिर, छोटे मंदिर और एमसीबी रोड स्थित लोधी मोहल्ला मंदिर से भगवान के विमान नगर भ्रमण पर निकाले गए। सभी मंदिरों के डोल एकत्र होकर मुख्य मार्गों से गुजरे। यात्रा के दौरान महिलाओं और श्रद्धालुओं ने आस्था भाव से आरती उतारी और पूजा की।

निपानिया कला

हाथी-घोड़ा पालकी के जयकारे

शोभायात्रा में शामिल भक्त पूरे रास्ते “हाथी-घोड़ा पालकी – जय कन्हैया लाल की” के जयकारे लगाते रहे। पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से सराबोर हो उठा।

निपानिया कला

पूरे शहर और गांवों में उत्सव का माहौल

डोल ग्यारस पर सीहोर शहर उत्सव के रंग में रंगा दिखाई दिया। सड़कों पर शोभायात्रा देखने और पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। पोस्ट ऑफिस रोड पर आज़ाद क्लब गणेश उत्सव समिति ने भगवान के विमानों का स्वागत किया।

सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी डोल ग्यारस बड़े धूमधाम से मनाई गई।

गांवों की विशेष परंपरा

निपानिया कला

ग्राम निपानिया कला में डोल ग्यारस की शुरुआत राम मंदिर से पूजा-अर्चना के साथ की जाती है। इसके बाद शोभायात्रा पंचायत भवन, चौधरी मोहल्ला, हरिजन मोहल्ला और हनुमान मंदिर से होती हुई बली माता और कॉलोनी क्षेत्र से निकलकर नदी किनारे पहुंचती है। यहां भगवान की सामूहिक पूजा और आरती होती है। इसके बाद शोभायात्रा पुनः गांव के हनुमान मंदिर पहुंचती है, जहां भगवान का विसर्जन किया जाता है।

अनेक गांवों में उल्लास

बमुलिया दोराहा

सीहोर जिले के साथ-साथ आसपास के कई गांवों और कस्बों में भी डोल ग्यारस पर्व की धूम रही।
श्यामपुर, दोराहा, अहमदपुर, बरखेड़ा हसन, झरखेड़ा, हुआखेड़ी, चरनाल, बजाय गांव, छतरपुरा, चांदबढ़ जागीर, बमुलिया दोराहा, हिंगोली, सियाड़ी, सौंठी, खजुरिया बंगला, खंडवा, शेखपुरा, निपानिया कला, रोला, सोनकच्छ, खाईखेड़ा, छतरी सहित संपूर्ण क्षेत्र में श्रद्धालुओं ने परंपरा के अनुसार डोल ग्यारस मनाई।
ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक गीत-संगीत के बीच शोभायात्राएं निकाली गईं और नदी-तालाबों के किनारे सामूहिक पूजा-अर्चना की गई।

बमुलिया दोराहा

श्रद्धा और आस्था का संगम

धार्मिक आयोजनों से पूरा इलाका भक्ति में डूब गया। मंदिरों के आस-पास और मार्गों पर मेले जैसा माहौल रहा। जगह-जगह सजे पंडालों में श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए और आस्था प्रकट की।


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