सीहोर में महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने की पहल तेज 155 सदस्यों को कड़कनाथ और देसी नस्ल के चूजे वितरित, बैकयार्ड पोल्ट्री से गृहस्थी की आय बढ़ेगी

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सीहोर / जिले में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उन्हें ‘लखपति दीदी’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मिशन ने पशुपालन विभाग के सहयोग से 110 महिला स्व-सहायता समूहों की 155 सदस्यों को कड़कनाथ और देसी रंगीन नस्ल के चूजे वितरित किए हैं।
बैकयार्ड पोल्ट्री योजना के तहत किया गया यह वितरण ग्रामीण महिलाओं को घर बैठे स्थायी आय का स्रोत उपलब्ध कराएगा।


NIHSAD भोपाल का सहयोग—45 महिलाओं को पूरी कड़कनाथ यूनिट उपलब्ध

इस पहल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (NIHSAD) भोपाल का सीधा तकनीकी सहयोग मिला है।
संस्थान ने 45 महिलाओं को कड़कनाथ यूनिट उपलब्ध कराई है, जिसमें शामिल है—

  • उच्च गुणवत्ता वाला मुर्गी आहार
  • देखरेख और प्रबंधन की सामग्री
  • अगले तीन महीनों तक तकनीकी मार्गदर्शन
  • रोग नियंत्रण और टीकाकरण की जानकारी

इससे महिलाओं को न केवल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि शुरुआती चरण में नुकसान की संभावना भी बेहद कम होगी।


सालाना 1.5 लाख रुपये तक की आय संभव — पशुपालन विभाग

पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के उप संचालक राजेंद्र गौतम ने बताया कि यदि एक यूनिट का संचालन सही तरीके से किया जाए तो एक महिला साल में 1 से 1.5 लाख रुपये तक कमा सकती है।
कड़कनाथ और देशी रंगीन मुर्गियों में—

  • प्रोटीन अधिक,
  • वसा कम होती है,
    इसलिए इनकी मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है। ग्रामीण महिलाओं को इन नस्लों से मुनाफे की संभावना सबसे अधिक है।

‘लखपति दीदी’ बनाने के लिए क्लस्टर मॉडल—CEO का निर्देश

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के निर्देश पर पोल्ट्री क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है। इसी दिशा में आजीविका मिशन और पशुपालन विभाग मिलकर महिलाओं को कड़कनाथ यूनिट प्रदान कर रहे हैं।
क्लस्टर तैयार होने से—

  • समूह आधारित प्रशिक्षण,
  • सामूहिक विपणन,
  • लागत में कमी,
  • और आय में वृद्धि
    जैसे लाभ मिलने की उम्मीद है।

अगली तिमाही में 300 और महिलाओं को मिलेगा लाभ

उप संचालक गौतम ने बताया कि आजीविका मिशन के साथ मिलकर पिछले दो वर्षों से यह योजना सफलतापूर्वक संचालित हो रही है।
पशुपालन सखियों की नियमित विजिट, टीकाकरण, और समय पर दवाइयां देने से मुर्गियों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
इसी सफलता को देखते हुए, आने वाली तिमाही में 300 और समूह सदस्यों को मुर्गी पालन यूनिट का वितरण किया जाएगा।


लाभान्वित महिलाओं की खुशी—“अब बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च में मदद होगी”

चूजे पाने वाली महिलाओं ने कहा कि—

  • उन्हें घर के पास ही रोजगार मिल गया है।
  • नियमित आय से बच्चों की पढ़ाई,
  • स्वास्थ्य खर्च,
  • और घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

समूह में जुड़े रहने से उन्हें साझा सीखने, सामूहिक खरीद, और बेहतर बाज़ार तक पहुंच जैसे फायदे भी मिलेंगे

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