भोपाल / स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी को महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है। जबकि प्रमुख सचिव ने सभी सीएमएचओ को एक तारीख को सैलरी देने का निर्देश जारी किया है। आउटसोर्स कंपनियों का कहना है कि सरकार द्वारा हमें बजट नहीं दिया जा रहा है।
मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी को महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है। जबकि प्रमुख सचिव ने सभी सीएमएचओ और संबंधित अधिकारियों को लेटर जारी कर एक तारीख को सैलरी देने का निर्देश जारी किया है। लेकिन कई जिलों में सात-आठ महीने से सैलरी नहीं मिली है। इधर आउटसोर्स कंपनियों का कहना है कि सरकार द्वारा हमें बजट नहीं दिया जा रहा है, इसलिए कर्मचारियों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। एक कंपनी ने तो यहां तक कहा कि हमने 2 महीने की सैलरी अपने जेब से दी है। जबकि सरकार से अभी तक हमें भुगतान नहीं किया गया है।
कम वेतन पर काम करने को मजबूर
दरअसल सरकार ने कार्यालयों में आवश्यक मानव संसाधन मुहैया कराने का काम निजी कंपनियों को सौंप दिया है। सीधे नियुक्ति देने से बचने की इस प्रशासनिक रणनीति का खामियाजा आऊटसोर्स कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश में ढ़ाई लाख से अधिक संख्या में मौजूद यह श्रमिक कलेक्टर दर से भी कम वेतन पर जहां काम करने को मजबूर है। वहीं इनको महीनों वेतन के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। इसमें उज्जैन, शहडोल और उमरिया जिलों में तो पिछले 7-8 महीनों से वेतन लंबित है। सागर में 4 माह और नर्मदापुरम, कटनी व धार में 3 माह के साथ अनूपपुर में 2 माह से वेतन नहीं मिला है।
नवंबर माह के बाद वेतन नहीं मिला
र्दापुरम में काम करने वाली कंपनी के ठीकेदार अनुराग शर्मा ने बताया कि सरकार की तरफ से बजट नहीं मिल रहा है। ऑपरेटर को नवंबर माह के बाद वेतन नहीं मिला है। मां की कर्मचारियों को भी दिसंबर के बाद वेतन नहीं दिया गया।
अपनी जेब से 2 महीने का वेतन दिया
जिला सागर में रत्न कोरियर कंपनी , प्रतीक शर्मा ने बताया कि बजट का इशू हो रहा है। बजट का लोकेशन होना है जो अगले 8 दिन में हो जाएगा। हमने अपनी जेब से 2 महीने का वेतन कर्मचारियों को दिया है और आगे नहीं कर सकते हैं। इससे ज्यादा कर पाना हमारे लिए मुश्किल है।
मार्च महीने से कर्मचारियों का पेमेंट नहीं हो पाया
उमरिया जिले में काम करने वाली कंपनी के रितेश गुप्ता ने बताया कि मार्च महीने से कर्मचारियों का पेमेंट नहीं हो पाया है क्योंकि विभाग में बजट नहीं है। उनके पास बजट नहीं है अभी नया सत्र आया है तो हो सकता है कि बजट मिल जाए। हमने सरकार से मांग की है जैसे ही बजट आएगा कर्मचारियों का पेमेंट हो जाएगा।
वेतन मांगों तो चली जाती है नौकरी
मप्र एनएचएम आऊटसोर्स कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया कि एनएचएम ने संविदा कर्मचारियों को आऊटसोर्स में कर दिया। समय पर वेतन नहीं मिलता और मांग करने पर नौकरी से निकाल दिया जाता है। कई बार ज्ञापन, प्रदर्शन किये गए, लेकिन सरकार ने ढाई लाख कर्मचारियों के हितों को दरकिनार ही किया है।
इन जिलों सबसे ज्यादा परेशानी
1.जिला उज्जैन के कई आउट सोर्स (सपोर्ट स्टाफ) कर्मचारियों को 7 माह वेतन नहीं दिया गया है।
2- जिला शहडोल के ब्लॉक ब्यौहारी सहित अन्य सभी ब्लॉक में पोषण पुनर्वास के सपोर्ट स्टाफ एव डाटा एंट्री ऑपरेटर को 8 माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है।
3- जिला नर्मदा पुरम में, आउट सोर्स कर्मचारियों को 3 माह से वेतन नहीं मिला है।
4- जिला कटनी में आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों को 3 माह से वेतन नही दिया गया है।
5- जिला अनूपपुर में आउट सोर्स कर्मचारियों को 2 माह से वेतन नहीं मिला है।
6- जिला उमरिया के पाली ब्लॉक में आउट सोर्स कर्मचारियों को 7 माह से वेतन नहीं दिया गया है।
7- जिला सागर में आउट सोर्स कर्मचारियों को 4 माह से वेतन नहीं दिया गया है।
8- जिला धार में आउट सोर्स कर्मचारियों को 3 माह से वेतन नहीं मिल रहा है।