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ज़मानत पर रहते हुए भी किया दूसरा अपराध, कोर्ट ने निरस्त की ज़मानत और सुनाई कड़ी सज़ा
अशोकनगर / न्याय की कसौटी पर खरा उतरते हुए, अशोकनगर जिले की विशेष अपर सत्र न्यायालय ने नाबालिग से दुष्कर्म और अपहरण के एक जघन्य मामले में दोषी सुनील प्रजापति को 22 साल 4 महीने के सश्रम कारावास और ₹7,000 के अर्थदंड से दंडित किया है।
इस मामले में कोर्ट ने दोषी के उस दुस्साहस को भी गंभीरता से लिया, जिसमें उसने ज़मानत पर रहते हुए भी एक और अपराध को अंजाम दिया था।
क्या था पूरा मामला?
यह सनसनीखेज मामला नईसराय थाना क्षेत्र से जुड़ा है।
- शिकायत: एक व्यक्ति ने अपनी 16 वर्षीय बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने तत्काल अपहरण का मामला दर्ज कर लिया।
- गिरफ्तारी: जांच के दौरान, पुलिस ने ग्राम ज्ञानपुर गुरैया निवासी सुनील प्रजापति (उम्र 21 वर्ष) को गिरफ्तार किया।
- चार्जशीट: एसडीओपी चंदेरी, शैलेंद्र शर्मा के नेतृत्व में हुई विवेचना पूरी होने के बाद, आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 366 (अपहरण), 376(2)(N) (बार-बार दुष्कर्म), पॉक्सो एक्ट की धारा 5/6, और एससी/एसटी एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत आरोप तय कर चालान विशेष अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
ज़मानत का उल्लंघन और दूसरा अपराध
विचारण (Trial) के दौरान दोषी सुनील प्रजापति को उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर से सशर्त ज़मानत मिल गई थी।
चौंकाने वाली बात: दोषी सुनील प्रजापति ने ज़मानत की शर्तों का गंभीर उल्लंघन करते हुए एक और अपराध को अंजाम दे डाला। इसके बाद नईसराय थाने में उसके खिलाफ नया मामला दर्ज किया गया।
तात्कालिक कार्रवाई:
- ज़मानत निरस्तीकरण: इस उल्लंघन के बाद, थाना प्रभारी नईसराय, उप निरीक्षक पुनीत दीक्षित ने 25 नवंबर को विशेष अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष आरोपी की ज़मानत निरस्त करने का अनुरोध किया।
- गिरफ्तारी: न्यायालय ने आवेदन स्वीकार कर 26 नवंबर को ज़मानत निरस्त करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 28 नवंबर को आरोपी को गिरफ्तार कर जिला जेल अशोकनगर भेज दिया।
न्यायालय का यह कठोर निर्णय साबित करता है कि अपराध की पुनरावृत्ति करने वालों के खिलाफ कानून कितनी सख़्ती से पेश आता है।




