2 माह की गर्भवती 16 वर्षीय किशोरी 7 घंटे तक जांच के लिए भटकती रही

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विदिशा / 16 साल की किशोरी, जो ज्यादती की शिकार होकर दो माह की गर्भवती है, उसे सोनोग्राफी और ब्लड जांच के लिए जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के बीच सात घंटे चक्कर काटने पड़े। यह मामला जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का है, जहां लचर व्यवस्था ने न-केवल पीड़िता को परेशान किया, बल्कि पुलिस और परिजन भी दिनभर भटकते रहे। सुबह 9 से शाम 4 बजे तक चले इस रेफर-रेफर के खेल ने चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल दी।
जानकारी के अनुसार लटेरी थाना पुलिस ने एक युक्क पर 16 साल की किशोरी को बहला-फुसलाकर ले जाने और ज्यादती का मामला दर्ज किया है। जांच के दौरान पता चला कि किशोरी दो माह की गर्भवती है। इसके बाद पुलिस उसे सोनोग्राफी और ब्लड जांच के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंची। किशोरी की मां और महिला पुलिसकर्मी भी साथ थीं, लेकिन जिला अस्पताल ने जांच करने के बजाय उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर वहां के स्टाफ ने कहा कि यह जांच जिला अस्पताल में ही होगी।

लापरवाही और सिस्टम की कमी उजागर
यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं में समन्वय की कमी और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की प्रवृत्ति को उजागर करता है। जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी और मेडिकल कॉलेज की ओर से बार-बार रेफर करने की प्रक्रिया ने पीड़िता की तकलीफ को और बढ़ा दिया। इस दौरान पुलिस ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया, जिसके बाद सिविल सर्जन ने किशोरी को भर्ती करने के निर्देश दिए।

सिविल सर्जन बोले- हमारे यहां रेडियोलाॅजिस्ट नहीं
इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. अनूप वर्मा का कहना था कि किशोरी की सोनोग्राफी होनी है, लेकिन हमारे यहां रेडियोलॉजिस्ट नहीं है, इसलिए उसे रेफर किया गया था। अब उसे जांच के लिए भर्ती कर लिया गया है। मैं इस मामले की जांच करूंगा। वहीं मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. मनीष निगम का कहना था कि मैं बाहर हूं। मामले का पता करके जानकारी दूंगा।

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