Drnewsindia.com/ग्वालियर/रायपुर।छत्तीसगढ़
चंद्रखुरी स्थित कौशल्या माता मंदिर में प्रस्तावित 51 फीट ऊंची भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना एक बार फिर चर्चा में है। ग्वालियर में तैयार की गई यह विशाल प्रतिमा पिछले 5 महीनों से भुगतान न होने के कारण फैक्ट्री परिसर में ही रखी हुई थी। अब ठेकेदार की ओर से मूर्तिकार को बकाया राशि चुकाने का आश्वासन दिया गया है, जिसके बाद स्थापना की कवायद दोबारा तेज हो गई है।
ठेकेदार ने कहा—8 दिसंबर तक भुगतान, लेकिन मूर्तिकार की शर्त बन सकती है अड़चन
राष्ट्रपति सम्मानित मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया कि ठेकेदार ने उनसे संपर्क कर 70 लाख रुपये का बकाया 8 दिसंबर तक चुकाने की बात कही है।
हालांकि भुगतान के बावजूद मूर्तिकार ने यह शर्त रखी है कि—
“चंद्रखुरी में पुरानी प्रतिमा को पूरी तरह हटाकर ही नई प्रतिमा की स्थापना संभव होगी। स्थान पूरी तरह साफ होना अनिवार्य है।”
इस शर्त के कारण स्थापना में एक बार फिर देरी की आशंका पैदा हो गई है।
मुरैना जिले के शनिधाम मंदिर में स्थापना का भी बना था विकल्प
ठेकेदार द्वारा भुगतान न करने के चलते प्रतिमा पिछले पांच महीनों से ग्वालियर के सेंड स्टोन आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर में रखी हुई थी।
प्रतिमा के रखरखाव और टीम के भुगतान के दबाव को देखते हुए इसे अस्थायी रूप से मुरैना के शनिधाम मंदिर में स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया था। हालांकि अब दोबारा चंदखुरी में ही स्थापना की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।
चंद्रखुरी मंदिर में पुरानी प्रतिमा को हटाने की जरूरत क्यों?
जानकारों के अनुसार चंदखुरी में वर्तमान में लगी प्रतिमा—
- संरचनात्मक रूप से कमजोर बताई जा रही
- चेहरे और शरीर का अनुपात भगवान श्रीराम के स्वरूप से मेल नहीं खाता
- निर्माण में कई तकनीकी खामियां सामने आ चुकी हैं
इसी कारण नई 51 फीट ऊंची प्रतिमा को उसी स्थान पर स्थापित करने की योजना है।
श्रीराम वन पथ गमन प्रोजेक्ट के लिए तीसरी प्रतिमा
छत्तीसगढ़ सरकार श्रीराम वन पथ गमन प्रोजेक्ट के तहत ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को नए स्वरूप में विकसित कर रही है।
इसी परियोजना के लिए पहले भी—
- शिवरीनारायण मंदिर
- सीता रसोई
में स्थापित करने हेतु ग्वालियर से प्रतिमाएं मंगाई जा चुकी हैं।
उनकी गुणवत्ता और स्वरूप देखकर ही ग्वालियर को यह 51 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार करने का ऑर्डर मिला था। यह प्रतिमा ग्वालियर सेंड स्टोन से बनाई गई है, जो देश के मजबूत और टिकाऊ पत्थरों में से एक माना जाता है।




