भोपाल, रविन्द्र भवन — सोमवार को रविन्द्र भवन स्थित हंसध्वनि सभागार में भव्य राष्ट्रीय हिन्दी अलंकरण सम्मान समारोह आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देशभर से चयनित साहित्यकारों, शोधकर्ताओं और भाषा-सेवियों को सम्मानित कर भाषाई और सांस्कृतिक योगदान को सराहा।
समारोह का माहौल और मुख्य बिंदु
रविन्द्र भवन का हॉल साहित्यिक उमंग से जीवंत रहा। समारोह की अध्यक्षता संस्कृति राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने की, जबकि नगरीय विकास विभाग की वरिष्ठ अधिकारी मंच पर मौजूद रहीं। कार्यक्रम के दौरान कई नये प्रकाशनों का विमोचन भी हुआ — जिनमें भाषा, आत्मकथा और शोधग्रंथ शामिल थे।
“हमारी भाषाएँ हमारे गौरव की पहचान हैं — इन्हें जन-जन तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है,” — मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में बोली-भाषाओं की विविधता अनूठी है और रानी दुर्गावती जैसे नायिकाओं के जीवन पर साहित्यिक काव्य लिखकर पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि इतिहास की गौरवगाथाएँ नयी पीढ़ी तक पहुँचें।
सम्मानित व्यक्तित्व और उनके योगदान
समारोह में राष्ट्रीय स्तर के विविध सम्मान दिए गए। कुछ प्रमुख प्राप्तकर्ता:
- प्रशांत पोल, जबलपुर — राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2024, हिंदी को विविध माध्यमों में लोकप्रिय बनाने के योगदान के लिए।
- लोकेन्द्र सिंह राजपूत, भोपाल — राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2025, ब्लॉगिंग व डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए।
- रीता कौशल (ऑस्ट्रेलिया), डॉ. वंदना मुकेश (इंग्लैंड), डॉ. सदानंद सप्रे (भोपाल) सहित कई विद्वानों को भाषा-सेवा और साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।#हिन्दीअलंकरण #साहित्य #भोपाल #भाषासेवा
महत्व और प्रभाव
यह आयोजन केवल साहित्यिक सम्मान तक सीमित नहीं रहा — इसमें उन तकनीकी, सामाजिक और सामुदायिक योगदानों को भी मान्यता दी गई जो हिंदी के विस्तार में सहायक रहे। विदेशी विद्वानों और प्रवासी भारतीय लेखकों को भी हिंदी संवर्धन के लिए सम्मानित कर, समारोह ने भाषा-डीप्लोमेसी का संदेश दिया।