टीटी नगर कालीबाड़ी दुर्गोत्सव में बंगाली समाज की ‘सिंदूर खेला’ की 400 साल पुरानी परंपरा

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Drnewsindia.com

भोपाल / राजधानी के टीटी नगर स्थित कालीबाड़ी दुर्गोत्सव में बुधवार (2 अक्टूबर) को बंगाल की पारंपरिक झलक दिखाई देगी। बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी मां दुर्गा की विदाई से पहले ‘सिंदूर खेला’ की रस्म निभाई जाएगी। यह आयोजन सुबह 10 बजे से शुरू होगा।

कालीबाड़ी में परंपरागत विधि से सिंदूर दान के साथ मां दुर्गा की विदाई की जाएगी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बंगाली समाज के परिवार शामिल होकर मां के दर्शन करेंगे और पारंपरिक ढाक की धुन पर नृत्य करते हुए सिंदूर खेलेंगे। विवाहित महिलाएं माता रानी को सिंदूर अर्पित कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लेंगी और फिर एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर गले मिलेंगी।

इस दौरान बंगाली समाज की महिलाएं धुनुची नृत्य भी करती हैं। बंगाल में यह नृत्य मां भवानी की शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है। धुनुची में नारियल और हवन सामग्री (धुनों) रखा जाता है। इसे शक्ति नृत्य कहा जाता है क्योंकि पुराणों के अनुसार, महिषासुर को मारने से पहले मां भवानी ने यह नृत्य किया था

सिंदूर खेला की परंपरा लगभग 400 साल पुरानी मानी जाती है। बंगाल में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन से पहले विवाहित महिलाएं यह रस्म निभाती हैं। इसमें महिलाएं पान के पत्तों को मां दुर्गा के गालों से स्पर्श कर सिंदूर चढ़ाती हैं। मां की मांग और मस्तक पर सिंदूर अर्पित करने के बाद वे एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाकर अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करती हैं।

बंगाली समाज इस रस्म को देवी पक्ष के समापन के रूप में मनाता है। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा को बेटी के रूप में कालीबाड़ी लाया जाता है, जहां विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। दुर्गा उत्सव के समापन पर मां की विदाई भी बेटी के समान की जाती है, और इस अवसर पर महिलाएं देवी को सिंदूर अर्पित करती हैं। इसके बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यही परंपरा ‘सिंदूर खेला’ के रूप में जानी जाती है।

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