दीपावली पर कालापीपल में 45 ब्लैक बक पकड़े: हेलीकॉप्टर से लगाया गया हांका, रेस्क्यू के लिए आई दक्षिण अफ्रीका की टीम

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शाजापुर में नीलगाय और काले हिरण खेतों में फसल को नष्ट कर देते हैं।

Drnewsindia.com/शुजालपुर | संवाददाता रिपोर्ट

दीपावली की सुबह शुजालपुर के कालापीपल इलाके में एक अनोखा नजारा देखने को मिला। खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे ब्लैक बक (काले हिरण) को पकड़ने का अभियान शुरू हुआ। बोमा पद्धति (Boma Technique) का उपयोग करते हुए पहले ही दिन 45 ब्लैक बक को सुरक्षित रूप से पकड़ा गया, जिन्हें अब गांधी सागर बांध के आसपास के जंगल क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा।

यह अभियान किसानों को फसलों के नुकसान से बचाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। सोमवार सुबह 6 बजे से शुरू हुए इस अभियान में हेलीकॉप्टर की मदद से ब्लैक बक के झुंड को “वी” आकार की ग्रीन नेट दीवार (बोमा) की ओर हांका गया। यह नजारा बेहद रोमांचक था — ऊपर से उड़ता हेलीकॉप्टर, नीचे दौड़ते ब्लैक बक, और चारों ओर फैली धूल की परत। हालांकि इस दौरान कोई नीलगाय नहीं पकड़ी गई।


दक्षिण अफ्रीका से आई विशेषज्ञ टीम

यह अभियान दक्षिण अफ्रीका की कंजर्वेशन सॉल्यूशंस टीम और मध्यप्रदेश वन विभाग के संयुक्त प्रयास से शाजापुर जिले के ग्राम इमलीखेड़ा में चलाया जा रहा है। बीते चार दिनों से हेलीकॉप्टर की अनुपलब्धता के कारण रेस्क्यू टीम लोकेशन सर्वे में जुटी हुई थी। अब जैसे ही हेलीकॉप्टर मिला, अभियान ने तेजी पकड़ी।

दक्षिण अफ्रीका से आई विशेषज्ञ टीम की निगरानी में कृष्ण मृग (ब्लैक बक) को पूरी सावधानी से पकड़ा जा रहा है। यह भारत में अपनी तरह का पहला अभियान है, जिसमें कृष्ण मृगों को खेतों से पकड़कर सुरक्षित जंगलों में स्थानांतरित किया जा रहा है।


देश में पहली बार ‘बोमा टेक्नीक’ से रेस्क्यू

अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान देश में पहली बार बोमा तकनीक के उपयोग से किया जा रहा है। इस तकनीक में जानवरों को किसी भी प्रकार की चोट या तनाव पहुंचाए बिना समूह में नियंत्रित दिशा में ले जाया जाता है।
डीएफओ हेमलता शाह ने बताया — “21 दिन के भीतर 400 ब्लैक बक और 100 नीलगायों को सुरक्षित रूप से ट्रांसलोकेट किया जाएगा। इस प्रक्रिया में किसी भी वन्यजीव को नुकसान नहीं पहुंचेगा।”


किसानों को मिलेगा राहत

शाजापुर जिले में 20 हजार से अधिक ब्लैक बक और करीब 2 हजार नीलगाय हैं। जिले में वन क्षेत्र सीमित होने के कारण ये जानवर खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। एक काला हिरण औसतन 40-50 के समूह का लीडर होता है, जिससे ये झुंड बड़ी तेजी से फसलों को चर जाते हैं।

साल 2022 में तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था। किसानों की मांग पर वन विभाग ने इन वन्य जीवों को पकड़कर अन्य सुरक्षित अभयारण्यों में भेजने की योजना तैयार की थी।


अभियान का लक्ष्य

  • कुल स्थानांतरण की अनुमति: 400 ब्लैक बक, 100 नीलगाय
  • स्थानांतरण स्थल: गांधीसागर अभयारण्य, मंदसौर
  • समय सीमा: 21 दिन
  • उद्देश्य: किसानों की फसल सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण

खास झलकियां:

  • हेलीकॉप्टर की आवाज से बोमा की ओर भागते ब्लैक बक
  • खेतों में झुंड को नियंत्रित करते वन्यजीव रेस्क्यू दल
  • दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों की निगरानी में सफल ट्रांसलोकेशन

यह अभियान न केवल किसानों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी भारत के लिए एक नई और अभिनव पहल साबित हो रहा है।


  • प्रमुख अभियान में शामिल हेलिकॉप्टर (Robinson helicopter) को तय समय पर नहीं पहुंचने के कारण इसे सोमवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
  • इस बीच, अभियान के लिए बनाई गई बोमा पद्धति (वी-आकार का जाल एवं ग्रीन नेट) का निरीक्षण हो चुका है और तैयारी पूरी हो रही है।
  • लक्ष्य बदल नहीं हुआ है — अब भी लगभग 400 ब्लैक बक और 100 नीलगाय को पकड़ कर स्थानांतरित करने की अनुमति प्राप्त है।

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