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वॉशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है, लेकिन यह भारत के साथ उसकी मित्रता को प्रभावित नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ पहले से मिलकर काम कर रहे हैं और इसे और बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि भारत के साथ अच्छे संबंधों की कीमत चुकानी पड़ेगी। रुबियो ने भारतीय डिप्लोमेसी की सराहना करते हुए कहा कि भारत को यह अच्छी तरह पता है कि कई देशों के साथ रिश्ते रखना जरूरी है, और यही समझदारी भरी विदेश नीति का हिस्सा है।
रुबियो ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका की रणनीतिक दोस्ती भारत के साथ दोस्ती को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच पुराने तनाव को समझते हुए अमेरिका का मकसद यह है कि जितने देशों के साथ हो सके, दोस्ती और सहयोग के रास्ते खोजे जाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के साथ काम करना अमेरिका की प्राथमिकता है, लेकिन यह भारत या अन्य देशों के साथ अच्छे रिश्तों के लिए खतरा नहीं बनेगा।

इस साल मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत हुए। अमेरिका ने 10 मई को दावा किया कि उसके मध्यस्थता प्रयासों के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए। इसके बाद जून और सितंबर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की व्हाइट हाउस में ट्रंप से बैठकें हुईं।
इसके अलावा, पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान के पसनी शहर में एक पोर्ट डेवलप करने का प्रस्ताव भी दिया है। रॉयटर्स के अनुसार, यह पोर्ट केवल व्यापार और खनिजों के लिए होगा और अमेरिका को इसमें सैन्य आधार बनाने की अनुमति नहीं होगी। यह पोर्ट अमेरिका को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों तक आसान पहुंच प्रदान करेगा।
रुबियो के बयान से यह साफ है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ संबंधों को बढ़ाना चाहता है, लेकिन यह भारत के साथ उसके मजबूत और संतुलित रिश्तों को प्रभावित नहीं करेगा।




